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RBI ने वित्त मंत्रालय को दिया लघु बचत दरों में कटौती की सलाह,सस्ते कर्ज के लिए.

आरबीआइ का कहना है कि इन छोटी बचत योजनाओं पर देय ब्याज की लागत बैंकों को बहुत ज्यादा पड़ती है जिसकी वजह से उनके फंड की लागत बढ़ जाती है। और वह कर्ज को सस्ता नहीं कर पाते। फरवरी-अक्टूबर, 2019 के दौरान आरबीआइ ने रेपो रेट में 135 आधार अंकों की कटौती किया था जबकि बैंकों की तरफ से कर्ज की दरों में महज 49 आधार अंकों की ही कटौती की गई है।

आरबीआइ की गणना कहती है कि छोटी अवधि की योजनाओं की ब्याज दर में 70-110 आधार अंकों की कटौती की जा सकती है।मौद्रिक नीति पेश करने के साथ पेश आरबीआइ की रिपोर्ट में यहां तक कहा गया था कि रेपो रेट में की जाने वाली कटौती का पूरा फायदा आम जनता तक नहीं पहुंच पाने के पीछे एक बड़ी वजह छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज की उच्च दरें हैं।

चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में उक्त दोनों के बीच यह अंतर 18-62 आधार अंकों का था। आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए भी इस बात का उल्लेख किया था कि पिछली तिमाही में ब्याज दरों में कटौती की जानी चाहिए थी।

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