वास्तु नियम को जानना जरुरी है सेहत को स्वस्थ रखने के लिए, आइये जानते है .
आपने यह कहावत तो सुनी ही होगी कि स्वस्थ्य तन में स्वस्थ्य मन का निवास होता है । इसके लिए अपनी जीवनशैली में सुधार लाने के साथ-साथ अगर वास्तुशास्त्र के कुछ आधारभूत नियमों का भी ख्याल रखा जाए तो परिवार में स्वास्थ्यप्रद वातावरण बना रहता है।
उगते हुए सूरज की किरणें सेहत के लिए बहुत लाभदायक होती हैं इससे पूरे घर के बैक्टीरिया एवं कीटाणु नष्ट हो जाते हैं अतः सुबह उठकर पूर्व दिशा की सारी खिड़किया एवं दरवाजे खोल दें,ऐसा करने से सूर्य देव का आशीर्वाद भी मिलेगा। दोपहर बाद सूर्य की अल्ट्रावॉयलेट किरणों से निकलने वाली ऊर्जा तरंगें सेहत के लिए बहुत हानिकारक होती हैं इनसे बचने के लिए सुबह ग्यारह बजे बाद घर की दक्षिण दिशा में स्थित खिड़कियों और दरवाजों को बंद रखें क्यों कि वास्तु में ये किरणें शरीर के लिए हानिकारक मानी गई हैं।
बेडरूम हमेशा खुला और हवादार होना चाहिए, ऐसा न होने पर व्यक्ति को मानसिक तनाव एवं नर्वस सिस्टम से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं। साथ ही ब्लडप्रेशर के मरीजों को दक्षिण-पूर्व में शयनकक्ष नहीं बनाना चाहिए क्यों कि यह दिशा अग्नि तत्व के प्रभाव में रहती हैं और यहाँ रहने से ब्लडप्रेशर और बढ़ सकता है।
वास्तुशास्त्र में भवन की दीवारों पर दरार और सीलन होना नकारात्मक स्थिति मानी जाती है। सीलन भरे स्थानों पर ज्यादा समय तक रहने से श्वास एवं त्वचा संबंधी दिक्क्तें हो सकती हैं। परिवार के बुजुर्ग सदस्यों को हमेशा नैऋत्य कोण यानि दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थित कमरे में रहना चाहिए.