चीन को जबरदस्त झटका, ताइवान में साई इंग-वेन ने जीता राष्ट्रपति चुनाव
चीन को कड़ा संदेश देते हुए ताइवान की जनता ने राष्ट्रपति साई इंग-वेन को भारी बहुमत से फिर सत्ता सौंपी है। शनिवार को आए चुनाव परिणाम में इस द्वीपीय देश में पहली महिला राष्ट्रपति को दोबारा सत्ता हासिल हुई। केंद्रीय चुनाव आयोग के अनुसार, देश के 22 शहरों और काउंटी में करीब 19310000 मतदाता हैं। कुल मतदाताओं में छह फीसद 20 से 23 वर्ष आयु के बीच के हैं।
ताइवान के 11 जनवरी को होने वाले आम चुनाव में साई इंग वेन दोबारा चुनावी मैदान में हैं। नए साल के मौके पर अपने भाषण में उन्होंने दोहराया है कि ताइवान एक संप्रभु देश है और वह चीन के दबाव से मुक्त होकर अपने यहां लोकतंत्र और स्वतंत्रता को कायम रखेगा। ताइवान के चुनाव में चीन का डर सबसे बड़ा मुद्दा है।
ताइवान ने चीन को एक बड़ा झटका दिया है। उसने बड़ा साहस दिखाते हुए चीन का ‘एक देश, दो व्यवस्था’ वाला प्रस्ताव ठुकरा दिया है। ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन ने कहा है कि उन्हें चीन का प्रस्ताव मंजूर नहीं है। ताइवान का कहना है कि यह फॉर्मूला हांगकांग में पूरी तरह से नाकाम हो गया है ऐसे में इसे स्वीकार करने का कोई सवाल ही नहीं उठता है।
बता दें कि चीन इस देश को भी अपना ही एक हिस्सा मानता है और बार-बार कहता रहा है कि ताइवान का एकीकरण होकर रहेगा जिसे दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती है। ऐसे में ताइवान राष्ट्रपति का चीनी प्रस्ताव को ठुकराना वैश्विक मंच पर बेहद अहम माना जा रहा है।
चीन की धमकियां बेसअर
चीन की धमकियों के आगे ताइवान बिल्कुल नहीं झुकेगा। साई के मुख्य प्रतिद्वंद्वी और चीन समर्थित केएमटी पार्टी के मुखिया हान कुओ यू ने अपनी हार स्वीकार कर ली है। परिणामों के अनुसार साई की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी को 80 लाख मतों में 57 प्रतिशत मतों का बड़ा हिस्सा मिला। जबकि हान की पार्टी को 38 प्रतिशत मत मिले। केंद्रीय चुनाव आयोग मतों ने मतों की गिनती पूरी नहीं की है लेकिन हान ने मतों के बड़े अंतर को देखते हुए अपनी हार स्वीकार कर ली है।