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ग्लोबल वॉर्मिंग के भयानक परिणाम, अपने ही बच्चों को खा रहे पोलर बियर
ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से क्लाइमेंट में लगातार बदलाव सामने आ रहे हैं.
ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से क्लाइमेंट में लगातार बदलाव सामने आ रहे हैं. जंगल नष्ट हो रहे हैं, पीने के पानी से लेकर समुद्र तक प्रदूषित होता जा रहा है. जिस तरह से इंसान अपने स्वार्थ के लिए पर्यावरण को नष्ट करने पर तुला हुआ है. ऐसे में आर्कटिक में रहने वाले पोलर बियर (ध्रुवीय भालू) की ऐसी तस्वीरें कई सवाल उठाती हैं.
- क्लाइमेट चेंज की वजह से ध्रुवीय क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन से पर्यावरण बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है. जलवायु परिवर्तन ने ध्रुवीय भालू को गंभीर रूप से प्रभावित किया है, जिससे वे नरभक्षी (अपने ही प्रजाति को खाने वाला) बन गए हैं.हालांकि ऐसा माना जाता है कि ध्रुवीय भालू में नरभक्षी का स्वभाव पाया गया था. लेकिन पृथ्वी पर हर तरह का भोजन और संसाधनों की अच्छी मात्रा होने की वजह से उन्होंने कभी अपने प्रजाति के जानवरों को नहीं खाया.
- वहीं इंसान पर्यावरण का शोषण (environment exploitation) इतना ज्यादा कर रहे हैं, जिसकी वजह से ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ती जा रही है. इसकी वजह से आर्कटिक में तापमान भी बढ़ रहा है, जिससे आर्कटिक में मौजूद बर्फ पिघल रही है. आर्कटिक में रहने वाले भालुओं के आवासों को पूरी तरह नष्ट कर दिया है और उनके घर भी लगातार खत्म होते जा रहे हैं. यही नहीं ध्रुवीय भालू आमतौर पर शिकार करके अपने भोजन की व्यवस्था करता है आज उन्हें भी मजबूरन अपने ही बच्चों को खाने पर मजूबर होना पड़ रहा है.
- आमतौर पर वे समुद्री बर्फ पर सील (seals) का शिकार करते हैं. लेकिन बर्फ के पिघलने की वजह से, भालू किनारे पर रहने के लिए मजबूर हैं जहां वे शिकार नहीं कर सकते.
- मॉस्को के सेवर्ट्सोव इंस्टीट्यूट ऑफ प्रॉब्लम ऑफ इकोलॉजी एंड एवोल्यूशन (Moscow’s Severtsov Institute of Problems of Ecology and Evolution) के ध्रुवीय भालू विशेषज्ञ इलिया मोर्डविंत्सेव का कहना है , ‘ध्रुवीय भालू के बीच नरभक्षण के मामले एक लंबे समय से स्थापित तथ्य ही हैं, लेकिन ऐसे मामले बहुत कम पाए जाते थे. लेकिन अब इस तरह के मामले ज्यादातर देखने को मिल रहे हैं. हम ऐसा कह सकते हैं कि ध्रुवीय भालू में नरभक्षी प्रवृत्ति बढ़ रही है.’