बतादे की अफगानिस्तान में शांति स्थापना के लिए अमेरिका और तालिबान के बीच समझौते पर सहमति बन गई है। लगभग 18 महीनों की लगातार वार्ता के बाद आमरेका-तालिबान शांति समझौते पर कतर के दोहा में हस्ताक्षर हुआ। इस मौके का अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो, कतर में भारतीय राजदूत पी. कुमारन, पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी समेत लगभग 30 देशों के प्रतिनिधि गवाह बने बताते चले की आज से लगभग 18 साल पहले अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला किया था। सितंबर, 2001 में न्यूयॉर्क व वाशिंगटन पर अल-कायदा के बड़े आतंकी हमले के बाद अमेरिका ने यह कार्रवाई की थी। तब वहां तालिबान का शासन था जिसे सिर्फ पाकिस्तान का समर्थन मिला हुआ था।
1-पहले चरण में अगले चार महीने में अफगानिस्तान में अमेरिका और सहयोगी देशों के सैनिकों की संख्या घटाकर 8600 पर लाई जाएगी।
2-तालिबान आतंकी संगठन अल कायदा के साथ अपने सभी रिश्ते तोड़ेगा और हिंसक गतिविधियों में भी शामिल नहीं होगा
3-अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के खिलाफ अल कायदा और अन्य आतंकी संगठनों को अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल नहीं करने देगा
4-10 मार्च तक अफगानिस्तान पांच हजार तालिबानी कैदियों और तालिबान एक हजार कैदियों को छोड़ेगा। इसके बाद कैदियों को छोड़ने का काम वार्ता पर निर्भर करेगा।
5-संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने अमेरिका और तालिबान के बीच हुए समझौते का स्वागत किया है। गुतेरस के प्रवक्ता ने कहा कि इससे अफगानिस्तान में राजनीतिक स्थिरता कायम करने में मदद मिलेगी और हिंसा खत्म होगी।