ट्रामा सेंटर का कारनामा: स्ट्रेचर पर बुजुर्ग को ऑक्सीजन लगाकर धूप में छोड़ा, घंटो तड़पा
ट्रामा सेंटर में गंभीर मरीजों की शिफ्टिंग में हीलाहवाली हो रही है। यहा ऑक्सीजन सिलिंडर लगाकर मरीज को ट्रामा सेंटर के बाहर धूप में छोड़ दिया गया। साथ ही परिजनों से लारी कॉर्डियोलॉजी में जाच कराने को कहकर स्टाफ गायब हो गया।
अमेठी निवासी उस्मान को 22 जून को ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया था। बेटे अकील खान के मुताबिक, उन्हें सास लेने व सीने में दर्द की समस्या थी। वार्ड में उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया। सुबह डॉक्टर ने उस्मान का ईको कराने के लिए लिखा। ऐसे में स्टाफ ने ऑक्सीजन सिलिंडर लगाकर स्ट्रेचर पर बाहर कर दिया। काफी देर तक उस्मान धूप में पड़े तड़पते रहे। उन्हें काफी देर तक एंबुलेंस व लारी ले जाने के लिए स्टाफ नहीं मिला। लिहाजा मरीज की जिंदगी दाव पर लग गई। परिजनों ने विरोध भी किया।
मानसिक रोगी को भेज दिया ट्रामा सेंटर:
मानसिक रोगी प्रदीप को ओपीडी में इलाज के बजाय शुक्त्रवार को डॉक्टर उसे दौड़ाते रहे। पत्नी राजवती के मुताबिक स्थानीय अस्पताल में फायदा न होने पर प्रदीप को केजीएमयू लाया गया लेकिन ओपीडी से डॉक्टरों ने ट्रामा सेंटर रेफर कर दिया और यहा से भी डॉक्टरों ने टरका दिया।
क्या कहते हैं जिम्मेदार?:
ट्रामा सेंटर के एंबुलेंस प्रभारी डॉ. संतोष कुमार का कहना है कि मैं अभी बाहर हूं। इसलिए बता पाना मुश्किल है कि ऐसा क्यों हुआ, लेकिन आक्सीजन सिलिंडर लगा होने पर किसी न किसी सहायक को साथ में जरूर होना चाहिए। इसके लिए आगे से सख्ती रखी जाएगी।
मानसिक रोगी को भेज दिया ट्रामा सेंटर:
मानसिक रोगी प्रदीप को ओपीडी में इलाज के बजाय शुक्त्रवार को डॉक्टर उसे दौड़ाते रहे। पत्नी राजवती के मुताबिक स्थानीय अस्पताल में फायदा न होने पर प्रदीप को केजीएमयू लाया गया लेकिन ओपीडी से डॉक्टरों ने ट्रामा सेंटर रेफर कर दिया और यहा से भी डॉक्टरों ने टरका दिया।
क्या कहते हैं जिम्मेदार?:
ट्रामा सेंटर के एंबुलेंस प्रभारी डॉ. संतोष कुमार का कहना है कि मैं अभी बाहर हूं। इसलिए बता पाना मुश्किल है कि ऐसा क्यों हुआ, लेकिन आक्सीजन सिलिंडर लगा होने पर किसी न किसी सहायक को साथ में जरूर होना चाहिए। इसके लिए आगे से सख्ती रखी जाएगी।