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अयोध्या में मस्जिद के लिए मिली जमीन पर हो खेती। ….

अयोध्या मामले पर फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से भी मुस्लिम समाज को 5 एकड़ जमीन मस्जिद निर्माण के लिए दी जानी थी. रौनाही के धनीपुर क्षेत्र में मुस्लिम समाज को जमीन दी गई. मुस्लिम पक्षकारों ने इस जमीन का विरोध के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड आगे आया और उसने रौनाही की जमीन को स्वीकार करने का फैसला किया. अब सुन्नी वख्फ़ बोर्ड मस्जिद निर्माण से पहले ट्रस्ट बनाने की कवायद शुरू करेगा.

माना जा रहा है कि जल्द ही ट्रस्ट की घोषणा हो सकती है. उधर बाबरी के एक अन्य पक्षकार इकबाल अंसारी ने इस संबंध में अपनी प्रतिक्रिया दी है इकबाल अंसारी का कहना है कि यह ट्रस्ट अभी बना नहीं है. सुन्नी वख्फ़ बोर्ड के चेयरमैन किसी का फोन नहीं उठा रहे हैं. न किसी से बात कर रहे हैं. हमने अयोध्या में जमीन की मांग की थी और अगर अयोध्या में हमको जमीन मिलती तो हमारी उस पर स्कूल धर्मशाला और अस्पताल का निर्माण करवाने की चाहत थी हमने 70 सालों का विवाद समाप्त किया है.

पूरी दुनिया ने हमारी और सुप्रीम कोर्ट की बात का सम्मान किया. उन्होंने कहा कि धनीपुर की जमीन को वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ने स्वीकार किया है. वह क्या करते हैं? अभी हम से कोई वार्ता नहीं हुई है. उनका मोबाइल ही बंद रहता है. हम चाहते हैं कि अब कोई विवाद भी न रहे.

सुन्नी वक्फ बोर्ड 1961 में आया है. सुन्नी वख्फ़ बोर्ड क्या करता है? यह बाद में देखा जाएगा. इकबाल अंसारी ने कहा कि ट्रस्ट में हमको जगह नहीं मिलती है तो हमें एतराज नहीं है ट्रस्ट में हम को रखा जाए या न रखा जाए सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दी गई जमीन पर वही काम होगा, जिससे कि पूरे हिंदुस्तान के लोगों का फायदा हो. हमारी बातों से सहमत है तो ठीक और नहीं तो फिर इसका विरोध ट्रस्ट को झेलना पड़ेगा.

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