विदेश मंत्री सुषमा स्वराज नें राज्यसभा में मंगलवार को बयान देते हुए कहा है कि 2014 में इराक के मोसुल से लापता हुए 40 में से 39 लोगों की आईएसआई के आतंकियों ने हत्या कर दी थी. उसके बाद उनके शव को दफना दिया गया. स्वराज ने यह भी बताया कि एक शख्स हरजीत मसीह किसी तरह बच निकलने में कामयाब रहा था. जब वह इराक के इरबिल में था तो उससे बात भी हुई थी लेकिन ताजा जानकारी के संदर्भ में उसके द्वारा दी गई जानकारी झूठी थी. सुषमा स्वराज ने बताया कि दरअसल हरजीत खुद को मुस्लिम बताकर बच निकला था.
आइए जानते हैं कि हरजीत कौन है?
27 साल का हरजीत मसीह पंजाब के गुरदासपुर जिले का रहने वाला है. वह 2015 में भारत लौटा. उस दौरान उसने मीडिया को बताया था कि 10-11 जून, 2014 को 40 भारतीयों को आईएस ने पकड़ लिया था. उनको बंधक बनाने के चार-पांच दिन बाद एक पहाड़ी पर ले जाया गया. उनको एक कतार में खड़ा कर दिया गया और पीछे से गोली मार दी गई. मसीह के मुताबिक उसको दाएं पैर में गोली लगी. वह गिर गया और मरने का नाटक किया. थोड़ी देर बाद जब आतंकी वहां से चले गए तो वह वहां से भाग निकला. मसीह के मुसाबिक बाकी किसी के बचने की वहां कोई संभावना नहीं दिखी थी. उसने बताया कि उसके बाद कुछ दिन तक वह बांग्लादेशी युवाओं के साथ रहा. उसके बाद इरबिल में अपनी कंस्ट्रक्शन कंपनी में संपर्क साधा. उन्होंने भारतीय दूतावास को मुझे सौंप दिया. उसके बाद मुझे भारत लाया गया.