केजरीवाल के पुराने सहयोगी ने कहा- किसी से नहीं छिपे ‘AAP’ के पाप…
कुछ वर्ष पहले तक टीवी चैनलों पर चुनावी समीक्षा में व्यस्त नजर आने वाले योगेंद्र यादव इन दिनों अपने नए राजनीतिक दल स्वराज पार्टी को मजबूत करने में व्यस्त हैं। रेवाड़ी जिले में इन दिनों उनकी नौ दिन की यात्र चल रही है। एक समय अरविंद केजरीवाल के विश्वस्त साथी रहे योगेंद्र अपने साथियों में डबल वाय व सलीम नाम से चर्चित हैं। यात्रा को चुनावी तैयारी कहने की बात से उन्हें थोड़ी चिढ़ है। उनका मानना है कि वह बुंदेलखंड से लेकर तमिलनाडु तक किसानों की बात उठा रहे हैं। उसी सिलसिले में हरियाणा में भी हैं। योगेंद्र यादव से उनके राजनीतिक दल व विभिन्न मुद्दों पर उनके नजरिये को लेकर दैनिक जागरण के मुख्य संवाददाता महेश कुमार वैद्य ने उनसे विस्तार से बात की। प्रस्तुत है बातचीत के मुख्य अंश:-
1. जब आम आदमी पार्टी का गठन हुआ तब आप व आपके साथियों ने इसे देश की तकदीर बदलने वाला नया प्रयोग बताया था? अब स्वराज पार्टी? नये विकल्प की जरूरत ही क्यों पड़ी?
-मेरा यह मानना है कि अब आम आदमी पार्टी इस लायक नहीं बची कि इसकी चर्चा भी की जाए। आप पूरे देश की राजनीति से अप्रासंगिक हो चुकी है। इनके पाप किसी से छुपे हुए नहीं है। अरविंद केजरीवाल अपने भगवान को अपना जवाब देंगे। मुझे अपना काम करना है। मैं इनकी आलोचना करके अपनी ऊर्जा नष्ट नहीं करना चाहता। स्वराज अभियान की परिकल्पना की। स्वराज पार्टी इसलिए गठित की गई ताकि एक विकल्प दिया जा सके। हम राजनीति के साथ सामाजिक सरोकारों की लड़ाई भी लड़ रहे हैं। हम सत्ता के भूखे होते तो इनका साथ छोड़ने की जरूरत नहीं पड़ती। जब आम आदमी पार्टी ने सिद्धांतों की तिलांजलि देने की शुरुआत की, मैं, प्रशांत भूषण व कई साथी अलग हो गए।
2. किसान और गरीब की बात तो सभी पार्टियां कर रही हैं? सिर्फ स्वराज पार्टी ही क्यों?
-स्वराज पार्टी का एजेंडा सबसे अलग है। कृपया हमारी लड़ाई को चुनावी नजरिए से न देखें। हम चाहते हैं कि किसान को कर्ज से पूर्ण मुक्ति मिले, उसे उसकी पैदावार के पूरे मूल्य की गारंटी मिले। हम गांवों में जगह-जगह खुल चुके शराब के ठेकों के खिलाफ भी लड़ाई लड़ रहे हैं और सूख चुके तालाबों के पुनर्भरण की भी। हम सिर्फ एक राजनीतिक दल नहीं हैं बल्कि सामाजिक आंदोलन हैं।
3. आपकी यात्रा हरियाणा में चल रही है। आप मनोहर सरकार के कामकाज का किस तरह से मूल्यांकन करेंगे
-अब तक की सबसे निकम्मी सरकार।
4. क्या यह राजनीतिक भाषा नहीं? लोग कह रहे हैं हरियाणा की सड़कों में काफी सुधार है..नौकरियां मेरिट पर मिली हैं। आप जिन गांवों में घूम रहे हैं उन गांवों में ऐसे कई युवक मिले हैं, जिन्हें बिना सिफारिश नौकरी मिली है। फिर निकम्मी क्यों?
-इसलिए निकम्मी, क्योंकि यह राजधर्म नहीं निभा पाई। प्रदेश तीन बार दंगों की आग में जला। तीनों ही बार सरकार गायब हो गई। भला इससे भी कमजोर कोई सरकार हो सकती है?
5. आपकी पार्टी क्या हरियाणा में चुनाव लड़ेगी?
-हमेशा चुनाव की बात ही क्यों की जाती है? हम अपना काम कर रहे हैं। कई राज्यों में काम किया है। हमने वहां चुनाव नहीं लड़ा।