स्कूलों में सुविधाओं के अभाव पर दिल्ली सरकार को HC ने लगाई फटकार
दिल्ली हाई कोर्ट ने राजधानी के सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल में बुनियादी सुविधाओं के अभाव को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार को आड़े हाथों लिया। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और सी हरिशंकर की पीठ ने दिल्ली सरकार की खिंचाई करते हुए कहा कि सरकार 2600 छात्रों को बुनियादी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं करा पा रही है। इस मामले की अगली सुनवाई 30 जुलाई को होगी।
पीठ ने शिक्षा निदेशालय के डिप्टी डायरेक्टर को करावल नगर स्थित आलोक पुंज स्कूल का निरीक्षण कर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश दिए। साथ ही जल बोर्ड को भी निर्देश दिया गया कि स्कूल में जल्द ही पीने के पानी और शौचालय की व्यवस्था की जाए।
अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने याचिका दायर कर सवाल उठाया कि तमाम सहायता व वित्तीय मदद पाने वाले सरकारी स्कूलों में बच्चों के लिए बुनियादी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हैं। उन्होंने करावल नगर केआलोक पुंज स्कूल का हवाला देकर कहा था कि छठवीं से 12वीं तक की पढ़ाई वाले इस स्कूल को शत प्रतिशत सरकारी मदद मिलती है, लेकिन यहां पढ़ने वाले 2600 छात्रों को पीने के पानी से लेकर साइंस-कंप्यूटर लैब, लाइब्रेरी और डेस्क तक की सुविधा उपलब्ध नहीं है। साथ ही शौचालय और क्लास रूम की हालत भी खस्ता है।
धर्म नहीं, ज्ञान आधारित हो शिक्षा: दलाई लामा
दुनिया में धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि सामान्य ज्ञान और वैज्ञानिक आधार पर शिक्षा दिए जाने की जरूरत है। यह कहना है बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा का। सोमवार को त्यागराज स्टेडियम में हैप्पीनेस पाठ्यक्रम को लांच करते हुए लामा ने कहा कि आज पूरी दुनिया भावनात्मक संकट का सामना कर रही है। इससे निपटने के लिए भारतीय प्राचीन ज्ञान बहुत प्रासंगिक है।
उन्होंने दिल्ली सरकार के प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि भारत के पास परंपरागत मूल्य हैं, जिन्हें शिक्षा में सम्मिलित करना चाहिए। अभी तक अंग्रेजों की शिक्षा को आगे बढ़ाया जा रहा था। अब हमें आधुनिक शिक्षा को परंपरागत मूल्य के साथ पढ़ाना चाहिए। नालंदा विश्वविद्यालय ने सर्वश्रेष्ठ विद्वान और सर्वश्रेष्ठ भिक्षुओं को दिया है। बता दें कि दिल्ली सरकार ने इस शैक्षणिक सत्र में अपने सभी स्कूलों में हैप्पीनेस पाठ्यक्रम की शुरुआत की है। इस मौके पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि शिक्षा में हैप्पीनेस पाठ्यक्रम की शुरुआत 100 साल पहले हो जानी चाहिए थी। हैप्पीनेस को शिक्षा में शामिल कर बच्चों को देशभक्ति का पाठ पढ़ाया जाएगा, उनमें विश्वास जगाने की कोशिश भी की जाएगी। वहीं शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि शिक्षा अपना काम कर रही है। मगर इसमें मानवता की कमी नजर आती है। दिल्ली में अब हैप्पीनेस पाठ्यक्रम की शुरुआत हो रही है। आने वाले दिनों में देशभर में दिल्ली को पहचाना जाएगा।