लखनऊ में कोरोना संक्रमित बुजुर्ग के शव को दफ़नाने पर हुआ विरोध
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पहले कोरोना पॉजिटिव मरीज की मौत के बाद कब्रिस्तान कमेटी और इलाकाई लोगों ने शव को ऐशबाग़ स्थित कब्रगाह में दफनाने नहीं दिया. बुधवार देर रात तक पुलिस के काफी समझाने बुझाने के बाद भी लोग शव दफनाने की अनुमति देने को तैयार नहीं हुए. देर रात तक शव को दफ़न नहीं किया जा सका. लोगों का कहना था कि शव के दफ़न होने से इलाके में कोरोना महामारी फैलने का डर है. अब गुरुवार को एक बार पुलिस फिर शव दफनाने की कोशिश करेगी.
दरअसल, लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में भर्ती कोरोना पॉजिटिव 64 वर्षीय बुजुर्ग का बुधवार को मौत हो गई थी. केजीएमयू प्रशासन के अनुसार 64 वर्षीय रोगी स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं के साथ भर्ती किए गए थे. उनको मधुमेह की बीमारी थी, इसकी वजह से उनके गुर्दे खराब हो गए थे. साथ ही फेफड़ों में संक्रमण था. साथ ही कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आया था. केजीएमयू प्रशासन के अनुसार, रोगी को वेंटीलेटर पर रख गया था. पूर्ण प्रयास किये गए, लेकिन इन्हें बचाया नहीं जा सका. बुजुर्ग ने केजीएमयू से पहले मेडवेल हॉस्पिटल और चरक डायग्नोस्टिक सेंटर में भी इलाज करवाया था.
जानकारी के बाद कोरोना संक्रमित मरीज के सम्पर्क में आने वाले ट्रॉमा सेंटर के 65 कर्मचारियों को क्वारेंटाइन कर दिया गया. इनमें से 52 नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ तथा अन्य कर्मी हैं. स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव अमित मोहन प्रसाद ने कहा कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आये सभी स्टाफकर्मियों का टेस्ट किया जा रहा है. मंगलवार सुबह तक उनमें से 15 लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आ चुकी थी लेकिन उन्हें अभी 14 दिन तक पृथक वास में ही रखा जाएगा. वहीं जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर नरेन्द्र अग्रवाल ने सोमवार को ही मेडवेल हॉस्पिटल और चरक डायग्नोस्टिक सेंटर को पत्र लिखकर अपना सारा कामकाज बंद करके उस मरीज के सम्पर्क में आये अपने कर्मियों की सूची उपलब्ध कराने को कहा.