मध्यप्रदेश के मंत्री ने माना- राज्य में सुरक्षित नहीं हैं बेटियां
अभी कुछ दिनों पहले ही महिलाओं की स्थिति को लेकर जो रिपोर्ट सामने आई थी उसमें मध्य प्रदेश के नगरीय विकास मंत्री माया सिंह ने भी अपनी मुहर लगा दी है। गौरतलब हो कि मध्य प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर प्रशासन कोई ठोस रणनीति नहीं बना पा रहा है जिसके कारण मध्य प्रदेश में महिलाओं के सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं।
महिलाओं की सुरक्षा को लेकर मध्य प्रदेश की नगरीय विकास मंत्री माया सिंह ने शाजापुर में मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि प्रदेश में बेटियां सुरक्षित नहीं हैं। उन्होंने कहा कि बाहर तो दूर हमारे घरों में ही बेटियां सुरक्षित नहीं हैं। मंदसौर में सात वर्षीय मासूम के साथ दुष्कर्म की घटना से मैं बहुत व्यथित हूं। उन्होंने कहा कि ऐसे दरिंदों को सार्वजनिक स्थान पर फांसी की सजा दिए जाने का समर्थन करता हूं।
हालांकि बाद में प्रदेश सरकार का पक्ष रखते हुए भी उन्होंने कहा दिल्ली में निर्भया कांड के बाद मध्य प्रदेश ने सबसे पहले मासूम बच्चों के साथ दुष्कर्म करने वालों को फांसी की सजा देने का प्रस्ताव विधानसभा में पारित करते हुए कानून बनाया है।
अगर सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो मध्यप्रदेश बच्चियों और औरतों से बलात्कार के मामले में देश में पहले नंबर पर है। पिछले साल मध्यप्रदेश में 2,467 बच्चियों के साथ रेप की घटनाएं दर्ज हुईं, जो की देशभर में बच्चियों के साथ हुई रेप की वारदातों की कुल संख्या का आधा है। इनमें से 90 फीसदी मामलों में परिवार का कोई सदस्य या फिर कोई नजदीकी वारदात का आरोपी था।
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश सिर्फ बलात्कार के मामलों में आगे होने के लिए कुख्यात नहीं है, बल्कि कथित तौर पर नाबालिगों द्वारा किए गए रेप के मामलों में भी सबसे आगे है। साल 2016 में नाबालिगों के खिलाफ मध्यप्रदेश में 442 रेप केस दर्ज किए गए, जबकि महाराष्ट्र में 258 और राजस्थान में 159 रेप केस दर्ज हुए।
अभी तक प्रदेश महिलाओं के लिए असुरक्षित था लेकिन अब यह बच्चियों के लिए काल बनता जा रहा है। बच्चियां कितनी असुरक्षित हैं इस तथ्य को आंकड़े बयां करते हैं। मध्यप्रदेश में पिछले साल रोजाना कम से कम 37 बच्चे भयंकर अपराधों के शिकार बने।