क्या भारत-चीन बातचीत से ही निकालेंगा लद्दाख विवाद का हल,अभी भी चर्चा जारी ??
पूर्व लद्दाख में चल रहे विवाद के समाधान के लिए भारत और चीन के बीच सेना के कमांडर स्तर की बातचीत के बाद बुधवार को मेजर जनरल स्तर की वार्ता हुई। पूर्वी लद्दाख सेक्टर में चीन की सेना की तरफ से किए गए निर्माण पर समाधान तलाशने के लिए भारत और चीन ने सेनाओं के बीच पर अगले 10 दिनों में कई स्तरों पर बातचीत करने का फैसला किया है सूत्रों के हवाले से बताया है कि बुधवार को दोनों पक्षों के बीच बातचीत हुई लेकिन इसका नतीजा कुछ समय बाद पता चल पाएगा। 6 जून को कमांडर स्तर पर 14वीं बटालियन के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और चीन के मेजर जनरल लियु लिन के बीच मोल्डो में हुई बातचीत के बाद यह दूसरी वार्ता थी पहले दौर की वार्ता के बाद चीन और भारत की सेना गलवान नाला, पीपी-15 और हॉट स्प्रिंग्स से करीब 2 से ढाई किलोमीटर पीछे हट गई। दोनों पक्षों के बीच बटालियन कमांडर स्तर की भी वार्ता होनी है ताकि आपसी सहमति से समाधान निकल सके और दोनों पक्ष संतुष्ट हो सके।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबित इस पूरे मामले से अवगत लोगों ने बताया कि साढ़े चार घंटे से ज्यादा चली वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने यथास्थिति बहाल करने और गतिरोध वाले सभी स्थानों पर काफी संख्या में जमे चीनी सैनिकों को तुरंत हटाए जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मेजर जनरल स्तर की वार्ता ”सकारात्मक माहौल” में हुई जिसका उद्देश्य दोनों पक्षों के बीच तनाव में कमी लाना है गतिरोध को शांतिपूर्ण तरीके से खत्म करने के लिए दोनों सेनाओं ने गलवान घाटी ओर हॉट स्प्रिंग के कुछ इलाकों में सीमित संख्या में अपने सैनिकों को पीछे हटा लिया जिसके एक दिन बाद यह वार्ता हुई है। बहरहाल, दोनों पक्ष पैंगोंग सो, दौलत बेग ओल्डी और डेमचोक जैसे कुछ इलाकों में अब भी आमने-सामने हैं।
दोनों देशों के सैनिक गत पांच और छह मई को पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग सो क्षेत्र में आपस में भिड़ गए थे। पांच मई की शाम को चीन और भारत के 250 सैनिकों के बीच हुई यह हिंसा अगले दिन भी जारी रही। इसके बाद नौ मई को उत्तर सिक्किम सेक्टर में भी इस तरह की घटना हुई थी। भारत-चीन सीमा विवाद 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी को लेकर है। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है, वहीं भारत का इस पर अपना दावा है।
दोनों पक्ष कहते रहे हैं कि सीमा मसले का अंतिम समाधान जब तक नहीं निकलता, सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाये रखना जरूरी है।चीन के शहर वुहान में 2018 में ऐतिहासिक अनौपचारिक शिखर-वार्ता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने द्विपक्षीय संबंधों के विकास के हित में भारत-चीन सीमा के सभी क्षेत्रों में अमन-चैन बनाये रखने के महत्व पर जोर दिया था।
यह शिखर-वार्ता डोकलाम में दोनों सेनाओं के बीच 73 दिन तक चले गतिरोध के बाद हुई थी। इस गतिरोध ने दोनों एशियाई महाशक्तियों के बीच युद्ध की आशंकाओं को पैदा कर दिया था। छह जून को हुई वार्ता में दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए थे कि एलएसी पर शांति एवं स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए वुहान शिखर सम्मेलन में मोदी और शी द्वारा लिए गए निर्णयों का पालन किया जाएगा।