LIVE TVMain Slideअसमउत्तर प्रदेशकेरलखबर 50ट्रेंडिगदिल्ली एनसीआरदेशप्रदेशविदेश

क्या भारत चीन में होगा युद्ध ? अगर हुआ तो भारत की स्थिति है बेहद मजबूत। ……

गलवन में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच युद्ध की आशंका जताई जा रही है। दोनों ओर से आक्रामक बयानबाजी के बीच एक अध्ययन सामने आया है, जिसमें बताया गया है कि चीन के मुकाबले में भारत की रक्षा स्थिति ज्यादा मजबूत है। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के हालिया अध्ययन में कहा गया है कि 1962 की तुलना में भारत को चीन के खिलाफ पारंपरिक लाभ है हार्वर्ड केनेडी स्कूल के बेलफर सेंटर फॉर साइंस एंड इंटरनेशनल अफेयर्स द्वारा प्रकाशित शोध पत्र में भारतीय और चीनी रणनीतिक क्षमताओं के तुलनात्मक आंकड़ों का विश्लेषण किया है। अध्ययन में दोनों देशों की परमाणु क्षमताओं, थल और वायु सेनाओं को ध्यान में रखा गया है।

जिनका उपयोग वास्तविक नियंत्रण रेखा पर किया जा सकता है डोकलाम संकट ने दोनों देशों के अधिकारियों और विशेषज्ञों को आत्मनिरीक्षण के लिए प्रेरित किया था। राजनीतिक रूप से, दोनों देशों ने निष्कर्ष निकाला कि सीमा विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की संभावना अब कम है, जिससे प्रतिद्वंद्विता बढ़ने का अनुमान लगाया जा सकता है। कुल मिलाकर, अनुमानित 104 चीनी मिसाइलें भारत के सभी या कुछ हिस्सों पर हमला कर सकती भारत ने अपने परमाणु हथियारों को बमवर्षक विमानों और भूमि आधारित मिसाइलों के जरिए तैयार रखा है।

जगुआर आइएस के दो स्कवाड्रन और मिराज 2000 एच लड़ाकू विमानों के एक स्कवाड्रन के कुल 51 विमान परमाणु हमले के लिए तैयार हैं। परमाणु हथियारों से लैस इन विमानों के तिब्बत तक पहुंचने की सबसे अधिक संभावना है। हालांकि, यह निश्चित है कि तिब्बत से चीन में गहराई तक आगे बढ़ने से पहले उनकी पहचान की जाएगी और हवाई हमले से रोका जाएगा।

अनुमान है कि चीन के करीब 2 से सवा दो लाख सैनिक पश्चिमी थिएटर कमांड में हैं, जो कि तिब्बत और शिनजियांग जिलों में हैं। यद्यपि यह संख्या भारत की सेना के बराबर लगती है, लेकिन यह पूरी तरह से भ्रामक है। यदि भारत से युद्ध होता है तो इसका एक हिस्सा उपलब्ध नहीं होगा, जो कि या तो रूस की सीमा पर है या फिर शिनजियांग और तिब्बत में विद्रोह को कुचलने में लगा है। दूसरी ओर चीन का जे-10 विमान भारत के मिराज-2000 की बराबरी का है, लेकिन सुखोई-30एमकेआइ चीन के सभी विमानों से बेहतर है। वहीं बहुत ऊंचाई वाले इन इलाकों में लड़ना चीन के विमानों के लिए मुश्किल चुनौती साबित होगा।

Related Articles

Back to top button