बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार श्रमिकों की होगी अहम भूमिका। …..
बिहार विधानसभा चुनाव की सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की वर्चुअल रैली के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को बिहार के खगड़िया से प्रवासी मजदूरों के लिए गरीब कल्याण रोजगार योजना की शुरुआत करेंगे. पीएम मोदी अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट को बिहार से आगाज कर इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव के समीकरण को साधने की कोशिश करेंगे कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन के बीच बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक अपने गांवों को लौटे हैं, जहां उनके समक्ष रोजगार की समस्या खड़ी हुई है. ऐसे में पीएम मोदी प्रवासी श्रमिकों को आय समर्थन देने के लिए 50,000 करोड़ रुपये के ‘गरीब कल्याण रोजगार अभियान’ की शुरुआत कर रहे हैं. इस योजना के जरिए घर लौटे श्रमिकों को सशक्त किया जा सकेगा और उन्हें 125 दिन का रोजगार उपलब्ध कराए जाने का लक्ष्य रखा गया है. यह योजना मुख्य रूप से उन छह राज्यों पर केंद्रित होगी, जहां सबसे अधिक प्रवासी श्रमिक अपने घरों को लौटे हैं देश के 6 राज्यों के 116 जिलों में गरीब कल्याण रोजगार योजना की शुरूआत की जा रही है. इसमें सबसे ज्यादा जिले बिहार के हैं.
बिहार के कुल 38 जिले में 32 को प्रधानमंत्री के इस ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत शामिल किया गया है. बिहार के प्रत्येक जिले से 25,000 श्रमिकों को इस अभियान के तहत रोजगार से जोड़ा जाएगा. इस तरह से बिहार में घर लौटे करीब 8 लाख श्रमिकों को सीधे तौर पर रोजगार मिल सकेगा बिहार सरकार ने पहले प्रवासी मजदूरों के खाते में आपदा राशि के रूप में एक हजार रुपये डाले. श्रमिकों की वापसी का दबाव लगातार बढ़ता गया तो बिहार सरकार ने पूरा दांव केंद्र सरकार पर फेंका. इसके बाद केंद्र सरकार ने आनन-फानन में ट्रेन की व्यवस्था कर दी. बिहार सरकार ने प्रवासी मजदूरों को बुलाने के लिए ट्रेनें चलानी शुरू कर दीं, जिसके बाद तकरीबन 30 लाख मजदूर दिल्ली, मुंबई सहित तमाम राज्यों से वापस आए हैं. ऐसे में उनके परिवार को भी अगर जोड़ा जाए तो अच्छी खासी संख्या श्रमिकों के वोटबैंक की होगी. ऐसे में यह मजदूर विधानसभा चुनाव में किसी का खेल बिगाड़ भी सकते हैं तो किसी के लिए खेल बना भी सकते हैं.