सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य से संबंधित मंत्रों का जाप करना चाहिए: धर्म
21 जून रविवार को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगने वाला है। वैसे तो सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है लेकिन ज्योतिष विद्या की नजर से इसे शुभ नहीं माना जाता है। सूर्य ग्रहण में चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी तीनों एक ही रेखा में होते हैं। वहीं चांद पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है। इसके कारण सूर्य की किरणें पृथ्वी तक नहीं पहुंचती हैं।
रविवार को सूर्य ग्रहण सुबह 10 बजकर 14 मिनट से शुरू होकर दोपहर एक बजकर 38 मिनट तक रहेगा। ग्रहण दोपहर 12 बजकर 10 मिनट पर अपने चरम प्रभाव में होगा। सूतक काल ग्रहण के 12 घंटे पहले यानी 20 जून को रात 10 बजकर 14 मिनट से शुरू हो जाएगा जो ग्रहण के खत्म होने तक प्रभावी रहेगा।
ग्रहण के दौरान और ग्रहण के खत्म होने तक भगवान की मूर्ति नहीं छूनी चाहिए। मंदिरों के कपाट बंद कर देने चाहिए। गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान ना तो ग्रहण देखना चाहिए और ना ही घर के बाहर निकलना चाहिए।
सूतक लगने पर और ग्रहण के दौरान सबसे ज्यादा नकारात्मक शक्तियां हावी रहती हैं। सूतक लगने पर किसी भी तरह का कोई भी शुभ कार्य करने से बचना चाहिए। ग्रहण में किया गया शुभ कार्य सफल नहीं होता।
सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य से संबंधित मंत्रों का जाप करना चाहिए। ग्रहण खत्म होने के बाद पूरे घर में गंगाजल डालकर शुद्धि करें। इसके बाद स्नान कर नए कपड़े पहनें फिर कुछ दान करें, तत्पश्चात कोई अन्य कार्य करना शुरू करें।
ग्रहण खत्म होने पर घर के पास मौजूद किसी मंदिर में पूजा कर दान करें। मान्यता यह भी है कि ग्रहण खत्म होने पर गाय को रोटी खिलाने से अच्छा फल प्राप्त होता है। मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए ग्रहण खत्म होने के बाद इंद्र देव की पूजा करने का भी विधान है।
यह सूर्य ग्रहण एक चमकते सोने के छल्ले की तरह नजर आएगा। इस खगोलीय घटना में ग्रहण के दौरान जब चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढंकने की कोशिश करेगा।
उस दौरान सूर्य के किनारे की गोलाई दिखेगी और यह बिलकुल किसी सोने की अंगूठी की तरह नजर आएगा। वास्तव में यह नजारा अद्भुत होगा।
हालांकि इस घटना को नग्न आंखों से बिल्कुल भी न देखें। इसे देखने के लिए सोलर चश्मा, टेलिस्कोप, पिन होल कैमरा, सूर्य ग्रहण प्रोजेक्टर, सोलर दूरबीन आदि का इस्तेमाल करें।
ग्रहण के दौरान सूर्य की पृथ्वी से 15 करोड़ 2 लाख 35 हजार 882 किमी की दूरी रह जाएगी। इस दौरान चांद भी तीन लाख 91 हजार 482 किमी की दूरी से अपने पथ से गुजर रहा होगा।
अगर चांद इस दौरान पृथ्वी के और पास होता तो यह ग्रहण एक पूर्ण सूर्य ग्रहण बन जाता। इसी तरह अगर सूर्य थोड़ा और पास होता तो ग्रहण का नजारा बदल जाता।
लेकिन अब यह ग्रहण वलयाकार होगा, यानी चांद पूरी तरह से सूर्य को नहीं ढंक पाएगा। करीब 30 सेकंड के लिए ही चांद सूर्य के बड़े भाग को कवर करेगा।