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लखनऊ में कमिश्नरी प्रणाली लागू होने के बाद से गिरा क्राइम ग्राफ

राजधानी लखनऊ के पुलिस कमिश्नरेट बनने के बाद शहर में हर तरह के क्राइम ग्राफ में गिरावट दर्ज की गई है. पुलिस कमिश्नरेट के 6 महीने पूरे होने पर विभाग की ओर से तुलनात्मक क्राइम डाटा जारी किया गया है.

इसमें 14 जनवरी से 14 जुलाई के बीच हुए अपराध की तुलना 2018 और 2019 के साथ कि गई है. आंकड़ों के मुताबिक पुलिस कमिश्नरेट बनने के बाद राजधानी में अपराध में भारी कमी आई.

पुलिस कमिश्नरेट के मुताबिक डकैती में 75, लूट में 56, हत्या में 35, बलात्कार में 34 फ़ीसदी की कमी आई है. इसके अलावा 45 माफियाओं को चिन्हित किया गया.

गैंगस्टर एक्ट के एक आरोपी की संपत्ति भी ज़ब्त की गई. जबकि अगर 2018 और 2019 में इस पीरियड के दौरान किसी भी गैंगस्टर की संपत्ति जब्त नहीं हुई थी. इसके अलावा एससी-एसटी के खिलाफ अपराधों में 46 फीसदी की कमी आई है.

लखनऊ और नोएडा में लागू है कमिश्नरी प्रणाली

बता दें इसी साल जनवरी में योगी सरकार ने बड़ा बदलाव करते हुए राजधानी लखनऊ और नोएडा में पुलिस कमिश्नरी व्यवस्था को लागू किया था. इसके बाद एडीजी जोन प्रयागराज सुजीत पांडे को लखनऊ और आईजी जोन मेरठ आलोक सिंह को नोएडा का पहला पुलिस कमिश्नर नियुक्त किया गया.

इस व्यवस्था के बाद लखनऊ और नोएडा में पुलिस कमिश्नर को कार्यकारी मजिस्ट्रेट के विधिक अधिकार मिल गए. यही नहीं संयुक्त पुलिस आयुक्त, अपर पुलिस आयुक्त, अपर पुलिस उपायुक्त और सहायक पुलिस आयुक्त को विशेष कार्यकारी मजिस्ट्रेट के अधिकारी मिले.

बता दें सीआरपीसी की मैजिस्ट्रियल पॉवर वाली कार्रवाई अब तक जिला प्रशासन के अफसरों के पास थी, वह अब पुलिस कमिश्नर को मिल गई है. सीआरपीसी की धारा 107-16, 144, 109, 110, 145 का क्रियान्वयन पुलिस कमिश्नर करते हैं.

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