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पीपीई किट और मास्‍क मांगने पर हॉस्पिटल के बाहर प्रदर्शन करती एचएएचसी हॉस्पिटल की नर्स

कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में तैनात दिल्‍ली के हकीम अब्‍दुल हमीद सेंटेनरी हॉस्पिटल की 84 नर्स को नौकरी से बर्खास्‍त कर दिया गया है. इन नर्स का कसूर सिर्फ इतना है कि कोरोना संक्रमण से बचने के लिए इन्‍होंने हॉस्पिटल प्रबंधन से पीपीई किट,मास्‍क सहित अन्‍य सुरक्षा उपकरणों की मांग कर दी थी.

जिसके बाद हॉस्पिटल प्रबंधन ने बिना किसी नोटिस के 84 नर्स को नौकरी से निकाल दिया. अब अपना हक वापस हासिल करने के लिए ये सभी 84 नर्स हॉस्पिटल के बाहर लगातार विरोध प्रदर्शन कर रही हैं.

यूनाइटेड नर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रिंस जोसफ ने कहा कि हकीम अब्दुल हमीद सेंटेनरी हॉस्पिटल में काम कर रही 84 नर्सों को बिना किसी वैध कारण के निकाल दिया गया है. ये सभी नर्स तमाम समस्‍याओं का सामना करते हुए कोविड वायरस के चपेट में आए मरीजों के इलाज में तैनात थीं.

उन्होंने बताया कि सरकार ने एचएएचसी हॉस्पिटल को कोविड सेंटर घोषित किया था, जिसके बाद यहां पर 200 कोविड-19 बेड के साथ कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज शुरू किया था.

इस हॉस्पिटल के कोरोना वार्ड में तैनात एक स्टाफ नर्स एक समय में 15-20 मरीजों की देखभाल करता है. ऐसे में हॉस्पिटल प्रशासन के इस फैसले से कोरोना महामारी के खिलाफ जारी जंग को भारी नुकसान पहुंचने वाला है.

13 से 14 घंटे की ड्यूटी को मजबूर है मेडिकल स्‍टाफ

रिंस जोसफ ने बताया कि कोरोना आईसीयू में एक मेडिकल स्‍टाफ एक समय में करीब छह मरीजों की देखभाल करता है. आरोप है कि कोरोना वार्ड और कोरोना आईसीयू में तैनात मेडिकल स्‍टाफ को हॉस्पिटल की तरफ से न ही बेहतर पीपीई किट, एन-95 मास्‍क उपलब्‍ध कराए जा रहे हैं और न ही उनका कोरोना टेस्‍ट कराया जा रहा है.

अव्‍यवस्‍था का आलम यह है कि हॉस्पिटल में नर्सों के लिए पीने का पानी उपलब्ध नहीं करा रहा है. हॉस्पिटल विशेष रूप से नाइट शिफ्ट में ड्यूटी के घंटे कम नहीं कर रहा है, पीपीई किट के साथ 13- 14 घंटे की ड्यूटी करना बहुत मुश्किल है.

यहां कोविड-19 वार्ड में तैनात स्टाफ नर्सों के लिए कोई स्वास्थ्य नीति भी नहीं है. आरोप यह भी है कि मेडिकल स्‍टाफ को समान कार्य समान वेतन नहीं मिल रहा है. उन्होंने स्‍वास्‍थ्‍य कर्मियों की समस्याओं को तुरंत निदान करने की मांग भी की है.

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