विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं हुए थे सचिन पायलट
सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच का विवाद हाई कोर्ट पहुंच गया है. दरअसल, अपनी ही सरकार के खिलाफ बगावत करने वाले सचिन पायलट को कांग्रेस ने उप मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा दिया था.
इसके बाद राजस्थान कांग्रेस के चीफ व्हिप महेश जोशी की शिकायत पर स्पीकर सीपी जोशी ने सचिन पायलट और उनके बागी विधायकों के खिलाफ नोटिस जारी किया था.
अब सचिन पायलट इस नोटिस के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंच गए हैं. दोपहर तीन बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस मामले पर जस्टिस सतीश चंद्र की बेंच सुनवाई करेगी.
बता दें कि प्रसिद्ध एडवोकेट हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी सचिन पायलट गुट के वकील होंगे. जानकारी के मुताबिक, साल्वे इस वक्त लंदन में हैं,
ऐसे में वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जिराह करेंगे. बताया जा रहा है कि सचिन ने कानूनी सलाहकारों की राय के बाद यह कदम उठाया है.
मामले पर सचिन गुट के विधायकों ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि स्पीकर की ओर से जारी किया गया व्हिप पूरी तरह से गैर-संवैधानिक है.
खैर, अगर व्हिप की वैधानिकता पर सचिन पायलट गुट को हाई कोर्ट से कोई आदेश या स्टे मिल जाता तो उनकी विधानसभा सदस्यता पर कोई खतरा नहीं रहेगा.
बता दें कि अशोक गहलोत सरकार ने दो दिन लगातार विधायक दल की बैठक बुलाई थी. इस बैठक के लिए बकायदा व्हिप भी जारी किया गया था.
इसके बावजूद सचिन और उनके साथ हरियाणा के मानेसर में ठहरे उनके गुट के विधायकों ने बैठक में हिस्सा नहीं लिया. इसके बाद कांग्रेस के चीफ व्हिप महेश जोशी ने स्पीकर सीपी जोशी से शिकायत की और बागी विधायकों की सदस्यता खत्म करने की मांग की.
इस पर स्पीकर सीपी जोशी ने सचिन पायलट समेत सभी बागी विधायकों को नोटिस जारी किया और उनसे 17 जुलाई की दोपहर 1 बजे तक जवाब मांगा है.
जवाब मिलने के बाद स्पीकर आगे की कार्रवाई करेंगे. नोटिस पर सचिन पायलट गुट का कहना है कि हमने व्हिप का उल्लंघन नहीं किया है.
यह नोटिस सचिन पायलट, रमेश मीणा, इंद्राज गुर्जर, गजराज खटाना, राकेश पारीक, मुरारी मीणा, पी. आर. मीणा, सुरेश मोदी, भंवर लाल शर्मा, वेदप्रकाश सोलंकी, मुकेश भाकर, रामनिवास गावड़िया, हरीश मीणा, बृजेन्द्र ओला, हेमाराम चौधरी, विश्वेन्द्र सिंह, अमर सिंह, दीपेंद्र सिंह और गजेंद्र शक्तावत को भेजा गया है.