आइये जाने नील आम्स्ट्रॉन्ग के बाद चांद पर उतरने वाला कौन था ये दूसरा शख्स, पढ़े पूरी खबर
20 जुलाई 1969 को नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने जब अपोलो लूनार मॉड्यूल ईगल से उतरकर चांद की धरती पर पहला कदम रखा था तो उस वक्त उन्होंने इतिहास बनाया था। इसके अलावा अंतरिक्ष में अमेरिका को रूस के कहीं आगे लाकर खड़ा कर दिया था। इसके कुछ देर बाद बज एल्ड्रिन चांद की धरती पर उतरे थे। अपोलो में सवार तीसरे अंतरिक्षयात्री माइकल कोलिंस यान में ही मौजूद थे। आर्मस्ट्रॉन्ग और एल्ड्रिन ने चांद की धरती पर करीब 21 घंटे और 31 मिनट बिताए थे जो हमेशा के लिए इतिहास में दर्ज हो गए। इस ऐतिहासिक क्षण का सीधा प्रसारण दुनिया के 33 देशों में किया गया था।
एल्ड्रिन और आर्मस्ट्रॉन्ग ने इस दौरान कई ऐसी फोटो भी खींची जो पहले कभी नहीं देखी गई थीं। यहां पर एल्ड्रिन ने अमेरिकी झंडे को सेल्यूट किया। उस समय कैमरा आर्मस्ट्रॉन्ग के पास था और उन्होंने इस खास पल को अपने कैमरे में कैद कर लिया। लेकिन चांद की सतह पर अमेरिकी झंडा लगाना काफी मुश्किल काम था। एक रॉड की मदद से इन दोनों ने इस समस्या को हल कर दिया।
एल्ड्रिन और आर्मस्ट्रॉन्ग दोनों ही फाइटर पायलट थे और दोनों ने ही कोरियाई युद्ध में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था। एल्ड्रिन अमेरिका के न्यूजर्सी में पैदा हुए थे। उन्हें यूएस मिलिट्री अकादमी में थर्ड रैंक मिला था। 1951 में यहां से उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की थी। इसके बाद उन्होंने बतौर फाइटर पायलट यूएस एयर फोर्स ज्वाइन की थी। कोरियाई युद्ध में उन्होंने अमेरिका की तरफ से करीब 66 उड़ानें भरी और दो मिग-15 को मार गिराया। इसके बाद उन्होंने मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट से एस्ट्रॉनिक्स में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्हें नासा के एस्ट्रॉनॉट ग्रुप-3 के लिए चुना गया।हालांकि इससे पहले 1962 में जब उन्होंने इसके लिए एप्लाई किया था तब उन्हें इसलिए रिजेक्ट कर दिया गया था क्योंकि वो टेस्ट पायलट नहीं थे। इसके बाद 1963 में नासा ने कुछ बदलाव किए। इस बदलाव के तहत प्रतियोगियों के पास जेट उड़ाने का 1000 घंटों का अनुभव होना चाहिए था हालांकि उस वक्त एल्ड्रिन के पास करीब 2500 घंटों का अनुभव था। वह 14 प्रतियोगियों में से चुने गए थे। इस ग्रुप में वह अकेले थे जिनके पास डॉक्टरेट की डिग्री थी। उनके रिसर्च के विषय की वजह से उनके साथ उन्हें Dr. Rendezvous कहकर बुलाते थे।
एल्ड्रिन ने 1966 में पहली बार जेमिनी-12 से अंतरिक्ष की सैर की। इस दौरान उन्होंने करीब पांच घंटे अंतरिक्ष में बिताए। इसके तीन वर्ष बाद 21 जुलाई 1969 को 03:15:16 बजे वह चांद की धरती पर कदम रखने वाले दुनिया के दूसरे अंतरिक्षयात्री बने। 21 वर्षों की सर्विस के बाद नासा से रिटायर होने के बाद वे यूएस एयरफोर्स टेस्ट पायलट स्कूल में कमांडेंट बने थे। एल्ड्रिन ने अपनी बायोग्राफी रिटर्न टू अर्थ और मैग्निफिसेंट डिसोलेशन में लिखा कि नासा छोड़ने के बाद वह क्लिनिक डिप्रेशन के शिकार हो गए थे और बहुत ज्यादा शराब पीने लगे थे।