गोरखपुर :दो दर्जन से अधिक गांव बाढ़ के पानी से घिरे फसलें हुई बर्बाद
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर के ग्रामीण इलाकों में उफनाती नदियों की वजह से दहशत का माहौल है. दो दर्जन से अधिक गांव बाढ़ के पानी से घिर गए हैं.
सैकड़ों एकड़ फसल बाढ़ में मैरुंड हो गई है. एक तरफ किसान फसल बर्बाद होने से दुखी हैं. वहीं, गांव में भरता पानी भी उनके लिए मुसीबत बनता जा रहा है. कोई भी प्रशासनिक अफसर अभी तक उनकी सुधि लेने नहीं पहुंचा है.
गांव में प्रवेश के लिए भी उन्हें पानी से डूबी हुईं सड़कों का सहारा लेना पड़ रहा है. कब पानी उनके गांव में भर जाए, इससे वे दहशत में हैं.
गोरखपुर के 25 से 30 किलोमीटर पश्चिम में बसे पॉली ब्लॉक के पाली गांव के साथ चौरांव, मुजौली, टिकरियां, गोहटा, भिटनी समेत दो दर्जन से अधिक गांव बाढ़ के पानी से घिर गए हैं.
हालात इतने खराब हैं कि गांव में जाने वाले संपर्क मार्ग के कटने की वजह से उन्हें उसी पानी में होकर गांव से बाहर और गांव में जाना पड़ रहा है. ऐसे में जान-जोखिम में डालकर ग्रामीण आ जा रहे हैं.
थाटेबारी गांव के शेर सिंह और रामनिवास पानी में डूबी हुई सड़क से खराब ट्रांसफॉर्मर पॉली ब्लॉक के बिजली विभाग के दफ्तर ले गए. उनके साथ, गांव के लोग भी हैं.
वे बताते हैं कि गांव में ट्रांसफॉर्मर सही करने कोई नहीं आया, तो वे खुद ही गांववालों के साथ उसे बदलने के लिए लेकर चल दिए. अब इसी पानी में ट्रैक्टर के साथ डूबकर वापस गांव जा रहे हैं.
पाली गांव के रहने वाले बुजुर्ग किसान सुंदर चौहान बताते हैं कि गांव जाने वाली सड़क पानी में डूब गई है. उन्होंने बताया कि उनके खेत भी पानी में डूब गए हैं. फसल बर्बाद हो गई है.
इसी पानी में डूबकर खेत तक गए. लेकिन, अब वहां कुछ नहीं बचा है. लिहाजा गांव वापस जा रहे हैं. वे कहते हैं कि किसी तरह जीवन-यापन हो रहा है. उन्होंने बताया कि गांव में जाने का दूसरा कोई रास्ता नहीं है.
यही वजह है कि उन्हें पानी में डूबकर गांव लौटना पड़ रहा है. पाली गांव के रहने वाले अजय बताते हैं कि ये राप्ती नदी का पानी है. बारिश और बखिरा ताल से भी पानी आ रहा है.
उनका खेत बचा है, लेकिन यहां पर अधिकतर खेत डूब गए हैं. वे बताते हैं कि पानी में रास्ता भी डूबा हुआ है. मकरहा गांव के रहने वाले शहाबुद्दीन बताते हैं कि पानी से होकर जाने की वजह से उनकी बाइक स्टार्ट नहीं हो रही है. ऐसे में उन्हें परेशानी उठानी पड़ रही है.
टिकरियां कोर गोहटा के रहने वाले विजयपाल सिंह और मुख्तार अली बताते हैं कि वहां पर बंधे पर जाने वाली रोड और खेत डूब गया है. रोपाई हो चुकी थी. एक एकड़ के खेत में धान बोए थे.
10 हजार रुपए का नुकसान हो गया है. किसी तरह जीवन यापन कर रहे हैं. गांव के चारों ओर पानी है. वे बताते हैं कि 30-40 गांव प्रभावित हैं. गोहटा के रहने वाले शेषनाथ तिवारी बताते हैं कि सारा खेत और चकरोड पानी में डूब गया है.
ये बाढ़ का पानी है धान रोपा हुआ एक एकड़ खेत डूब गया है. 14,500 रुपए लागत से धान बोए. अब सब बर्बाद हो गया. सरकार से मदद की उम्मीद है.
गोरखपुर के अपर जिला मजिस्ट्रेट वित्त एवं राजस्व व बाढ़ नियंत्रण के प्रभारी अधिकारी राजेश कुमार सिंह बताते हैं कि गोरखपुर लो लैण्ड होने की वजह से यहां पर बाढ़ का प्रभाव रहता है.
उन्होंने बताया कि गोरखपुर में राप्ती के अलावा रोहिन, आमी, घाघरा और सरयू नदियां हैं. जब पीछे का पानी आता है, तो यहां गांव घिर जाते हैं. उन्होंने गांव प्रभावित गांवों का दौरा भी किया.
उन्होंने बताया कि 34 नाव जनपद में लगाई गई हैं. ग्रामीणों से भी बात की गई है. उनका कहना है कि किसी भी गांव के भीतर अभी तक पानी नहीं पहुंचा है. आमी नदी का पानी बैक फ्लो होने की वजह से खेतों में पहुंच जाता है.
राप्ती का पानी घटेगा, तो रेग्यूलेटर खोलकर राप्ती की ओर पानी चला जाता है. ये हर साल आने वाली प्राकृतिक आपदा है. जिनकी फसल बर्बाद हुई है, उनकी क्षतिपूर्ति की जाएगी.
कुआनों को छोड़कर सभी नदियां चढ़ान पर हैं. राप्ती लगातार चढ़ान पर है. 21 जुलाई की शाम 4 बजे की रिपोर्ट के मुताबिक, राप्ती बर्डघाट पर खतरे के बिंदु 74.98 को पार कर 75.28 तक पहुंच गई है.
सरयू तुर्तीपार में 64.01 के खतरे के बिंदु को पार कर 64.22 पर बह रही है. रोहिन त्रिमुहनी घाट पर 82.44 के खतरे के निशान को पार कर 82.50 पर बह रही है.
मुखलिसपुर के पास कुआनो खतरे के निशान 78.65 को पार कर 78 पर बह रही है. नदियों के उफनाने से किसानों को इस बात का डर सता रहा है कि कहीं उफनाई नदियां उनके गांव में भी बाढ़ तबाही न मचा दे.