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नए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत पेट्रोल पंप पर तेल चोरी पड़ेगी भारी

देश के पेट्रोल पंपों पर अब चिप लगाकर तेल चोरी करना संचालकों पर भारी पड़ने वाला है. देश में रोज पेट्रोल पंपों पर मशीनों में चिप लगाकर पेट्रोल और डीजल की घटतौली के मामले को देखते हुए मोदी सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं.

बीते 20 जुलाई को नया उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 लागू हो जाने के बाद पेट्रोल पंप संचालकों पर नकेल कसना शुरू हो जाएगा.

बता दें कि पेट्रोल-डीजल को लेकर उपभोक्ताओं को हर रोज कई तरह की समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है.

ग्राहक कम पेट्रोल और डीजल की शिकायतों को लेकर परेशान रहते हैं, लेकिन अब नए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत पेट्रोल पंप संचालक उपभोक्ता को ठग नहीं सकते.

अब पेट्रोल पंप पर पेट्रोल या डीजल मानक के अनुसार मिलेंगे. अगर ग्राहक शिकायत करते हैं तो पेट्रोल पंप पर जुर्माना के साथ उसका लाइसेंस भी रद्द हो सकता है.

अब पेट्रोल पंप पर पेट्रोल या डीजल मानक के अनुसार मिलेंगे

देश में तेल के चोरी का खेल छोटे शहरों से लेकर बड़े शहरों और गांवों तक फैला है. पेट्रोल पंप संचालक कई तरह से उपभोक्ताओं को चूना लगाते हैं. आम आदमी की गाढ़ी कमाई को पेट्रोल पंप के मालिक कई तरह से चूसते हैं.

आम आदमी अक्सर पेट्रोल-डीजल लीटर से नहीं बल्कि रुपये से भरवाते हैं. फिक्स रुपये जैसे 100 रुपये, 500 रुपये या 2000 हजार का तेल देने के लिए कहते हैं.

ग्राहक को पता नहीं होता है कि इस फिक्स रुपये पर बोलने पर पहले से ही पेट्रोल पंप संचालकों के द्वारा चीप लगाकर लीटर घटा दिया जाता है. इससे ग्राहक ठगे जाते हैं.

नए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम कानून 2019 के मुताबिक अब मिलावटी या नकली उत्पादों के विनिर्माण या बिक्री के लिए सख्त कड़े नियम तय किए गए हैं.

अब अगर ग्राहक कम तेल मिलने की शिकायत करते हैं तो उपभोक्ता कानून में किसी सक्षम न्यायालय द्वारा दंड का प्रावधान किया गया है.

पहली बार न्यायालय में दोषसिद्ध होने पर पेट्रोल पंप मालिक का लाइसेंस दो साल तक की अवधि के लिए निलंबित किया जा सकता है.

अगर दूसरी या उसके बाद भी पेट्रोल पंप मालिक के खिलाफ शिकायत आता है तो स्थाई तौर पर लाइसेंस रद्द किया जा सकता है.

कुलमिलाकर आए दिन पेट्रोल पंप पर एसडीएम, माप-तौल विभाग और पूर्ति विभाग का छापा मारा जाता है, लेकिन पेट्रोल पंप की मिलीभगत से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाती है

लेकिन अब नए कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट आने के बाद ग्राहकों को कई तरह के अधिकार मिले हैं.

Consumer Protection Act-2019 की कुछ विशेषताएं

– पीआईएल या जनहित याचिका अब कंज्यूमर फोरम में फाइल की जा सकेगी. पहले के कानून में ऐसा नहीं था.
-नए कानून में ऑनलाइन और टेलीशॉपिग कंपनियों को पहली बार शामिल किया गया है.
-खाने-पीने की चीजों में मिलावट तो कंपनियों पर जुर्माना और जेल का प्रावधान.
– कंज्यूमर मीडिएशन सेल का गठन. दोनों पक्ष आपसी सहमति से मीडिएशन सेल जा सकेंगे.
-कंज्यूमर फोरम में एक करोड़ रुपये तक के केस
-स्टेट कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन में एक करोड़ से दस करोड़ रुपये
-नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन में दस करोड़ रुपये से ऊपर केसों की सुनवाई.
– कैरी बैग के पैसे वसूलना कानूनन गलत.

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