क्या दिल्ली का केजरीवाल मॉडल देश के दूसरे राज्यों के लिए रोल मॉडल साबित हो सकता ?
देश के कई दूसरे राज्य जहां कोरोना मैनेजमेंट में पिछड़ रहे हैं वहीं दिल्ली में केजरीवाल सरकार की मैनेजमेंट की आज हर तरफ तारीफ हो रही है. बीते एक सप्ताह से दिल्ली में कोरोना के एक्टिव केस में लगातार कमी आ रही है.
वहीं बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में एक्टिव केस में बेतहाशा तेजी आई है. उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्य कोरोना महामारी पर लगाम लगाने में असफल साबित हुए हैं.
ऐसे में जानकारों का मानना है कि बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों को दिल्ली में अपनाए गए कोरोना मैनेजमेंट से सीख लेनी चाहिए. दिल्ली का केजरीवाल मॉडल देश के दूसरे राज्यों के लिए रोल मॉडल साबित हो सकता है.
हर तरफ हो रही दिल्ली में कोरोना मैनेजमेंट की तारीफ
बता दें कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कोरोना से लड़ाई में जिस मॉडल को अपनाया वह मॉडल अब कामयाब होता दिख रहा है.
कुछ दिन पहले तक दिल्ली और महाराष्ट्र में कोरोना के मरीज सबसे ज्यादा आ रहे थे, लेकिन आज दिल्ली ने इस पर काफी हद तक काबू पा लिया है.
जबकि, महाराष्ट्र में अभी भी इसी तरफ कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं. कमोबेश यही हाल बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों का भी हो रहा है. इन दोनों राज्यों में भी पिछले कुछ दिनों में कोरोना मरीजों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी देखी जा रही है.
दिल्ली में रिकवरी रेट 88 फीसदी तक पहुंच गया है. यानी 100 में से 88 लोग ठीक हो चुके हैं. दिल्ली में इस समय केवल 9 प्रतिशत लोग ही बीमार हैं.
मृत्यु दर भी 3 फीसदी से कम है. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल कहते हैं, ‘दिल्ली में मौत के आंकड़ों में लगातार गिरावट आ रही है.
अब मरीजों की मौत 20 के आस-पास रह रही है जो जून महीने में 100 से ज्यादा हो गई थी. हालांकि हमलोग इसको भी कम करने की कोशिश में लगे हुए हैं. इतनी मौत भी नहीं होनी चाहिए.
अगर टेस्टिंग की बात करें तो पहले अगर 100 लोगों का टेस्ट करते थे तो 35 संक्रमित निकलते थे, पर अब 5 निकल रह हैं. फिलहाल दिल्ली के अस्पतालों में 15 हजार 500 बेड हैं, लेकिन मरीज सिर्फ 2800 हैं.
जून महीने में दिल्ली कोरोना मरीजों की संख्या में देश में दूसरे नंबर था आज हम 8वें नंबर पर हैं.’
गौरतलब है कि देश में कोरोना वायरस के सबसे ज्यादा ऐक्टिव केस इस समय महाराष्ट्र में हैं. महाराष्ट्र में कोरोना के तकरीबन डेढ़ लाख ऐक्टिव केस हैं. कर्नाटक अब दूसरे नंबर पहुंच गया है.
कर्नाटक में तकरीबन 53 हजार ऐक्टिव केस हैं. तमिलनाडु तीसरे नंबर है. तमिलनाडु में भी 53 हजार से कुछ कम एक्टिव केस हैं. आंध्र प्रदेश में 44 हजार 500 के आसपास, यूपी में तकरीबन 23 हजार,
पश्चिम बंगाल में 20 हजार, गुजरात में 13 हजार और बिहार में तकरीबन 12 हजार ऐक्टिव केस हैं. बिहार और यूपी में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रहे हैं.
वरिष्ठ पत्रकार संजीव पांडेय कहते हैं, ‘अरविंद केजरीवाल ने कोरोना से लड़ने के लिए इच्छाशक्ति दिखाई जो दूसरे प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों ने नहीं दिखाई.
मेरे ख्याल से अप्रैल महीने से ही अरविंद केजरीवाल इस काम को प्रमुखता से लिया. नए-नए प्रयोग किए. आलोचनाओं को दरकिनार करते हुए लगातार अपने काम में जुटे रहे.
बाद में केंद्र सरकार की भी मदद मिली. दिल्ली के तीन बड़े अस्पतालों को तुरंत ही कोविड अस्पताल में परिवर्तित कर देना.
यह दूरगामी सोच का ही नतीजा है कि केजरीवाल आज देश के दूसरे राज्यों के लिए रोल मॉडल बन कर उभरे हैं. सोशल मीडिया पर जनता से सुझाव मांगे और सुझाव को लागू किया. इसलिए आज दिल्ली में हालात सुधरे हैं.’
पांडेय कहते हैं, यूपी, बिहार की सरकारों ने शुरुआती दिनों में कोरोना को गंभीरता से नहीं लिया. प्रवासी मजदूरों का जब पलायन होना शुरू हुआ तो इन राज्यों के हालात बिगड़ने लगे. मुंबई और दिल्ली जैसे शहरों से वापस आए प्रवासियों से स्थिति बिगड़ने लगी.
इन राज्यों ने बेशक बाहर से आने वाले लोगों के लिए क्वारंटीन सुविधा की बात की लेकिन वह सही से अमल में नहीं आ पाया. रह-सही कसर स्वास्थ्य सेवा की बदहाली ने पूरी कर दी.’