उत्तर प्रदेश : अपहरण और फिरौती की घटनाओं पर डीजीपी मुख्यालय हुआ सख्त
उत्तर प्रदेश में लगातार बढ़ रही अपहरण और फिरौती की घटनाओं पर डीजीपी मुख्यालय सख्त नजर आ रहा है. डीजीपी मुख्यालय की तरफ से जिले के सीनियर अफसरों के लिए दिशा-निर्देश जारी किया गया है.
निर्देश में कहा गया है कि अपहरण की सूचना पर जिला पुलिस तुरंत टीम का गठन करे और जरूरत के मुताबिक तुरंत एसटीएफ को भी लगाया जाए. पूरे मामले की समीक्षा लगातार सीनियर अफसर करें.
इतना ही नहीं सीनियर अफसर खुद घटनास्थल का निरीक्षण करें और जरूरत पड़े तो आरोपियों की ब्रेन मैपिंग व पॉलीग्राफ़ टेस्ट भी कराए जाएं.
डीजीपी मुख्यालय द्वारा जारी दिशा निर्देश में कहा गया है कि अपराध की सूचना मिलते ही घटनास्थल पर थाना प्रभारी, क्षेत्राधिकारी के साथ-साथ पुलिस कप्तान भी मौके पर पहुंचें.
इतना ही नहीं शिकायतकर्ता के आरोपों से अगर यह स्पष्ट होता है कि अपहरण किसी अपराध के उद्देश्य से किया गया है तो तुरंत मुकदमा पंजीकृत किया जाए.
दिशा निर्देश में कहा गया है कि फिरौती के लिए अपहरण की घटना पर अविलंब आईपीसी की धरा 364A के तहत मुकदमा पंजीकृत कर टीमों का गठन किया जाए. इसमें किसी भी परकार की शिथिलता बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
दिशा निर्देश में कहा गया है कि अपहरण की घटना होने के 24 घंटे के अंदर अपहृत की फोटो तमाम जिलों के साथ अन्य राज्यों में भेजकर उसकी जानकारी हासिल की जाए. साथ ही अगर जरूरत पड़े तो एसटीएफ को लगाकर अपहृत की बरामदगी सुनिश्चित की जाए
दरअसल, पिछले कुछ दिनों से एक के बाद एक अपहरण की घटना सामने आने के बाद विपक्ष योगी सरकार पर हमलावर है. कानपुर में लैब टेक्नीशियन संजीत यादव व धर्मकांटा मैनेजर ब्रजेश पाल की अपहरण के बाद फिरौती के लिए हत्या कर दी गई.
इसके अलावा गोरखपुर में भी एक छात्र की एक करोड़ की फिरौती के लिए उसकी हत्या कर दी गई. इन तीनों ही मामलों में पुलिस की जमकर किरकिरी हुई. हालांकि, गोंडा में अपहृत व्यपारी के बेटे की बरामदगी पुलिस ने सकुशल सुनिश्चित करवाई थी