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अब स्कूली शिक्षा में 10+2 का जमाना खत्म, 5+3+3+4 सिस्टम लागू, पढ़िए पॉलिसी की सारी खास बातें

भारत सरकार ने देश की स्कूली शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन कर दिया है। बुधवार को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक ने नई एजुकेशन पॉलिसी लागू की है। जिसमें 10 प्लस टू सिस्टम को खत्म कर दिया गया है।

अब नई व्यवस्था के तहत 5 प्लस 3 प्लस 3 प्लस 4 सिस्टम लागू किया गया है। इस नई नीति की खासियतें क्या होंगी, यह जानकारी हम आपको बता रहे हैं।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से भेजे गए प्रस्ताव को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने मंजूरी दे दी है। इसमें सबसे बड़ा बदलाव यह किया गया है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है।

अभी तक देश में शिक्षा नीति टेन प्लस टू के आधार पर चल रही थी। इसे खत्म कर दिया गया है। स्कूली शिक्षा में 10+2 का जमाना खत्म हो गया है। अब नया सिस्टम 5+3+3+4 लागू कर दिया गया है।

मतलब, अब स्कूल के पहले 5 साल प्राइमरी स्कूल के रहेंगे। इनमें पहले 3 साल प्री प्राइमरी स्कूल, उसके बाद कक्षा 1 और कक्षा 2 सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल होगी। इसके बाद अगले 3 साल, यानी कक्षा 3, 4 और 5 को प्राइमरी एजुकेशन के दूसरे चरण में रखा गया है।

इसके बाद अगले तीन वर्ष तक कक्षा 6, 7 और 8 को जूनियर हाई स्कूल का चरण माना जाएगा। इसे उच्चतर प्राथमिक शिक्षा भी कहा जा सकता है। चौथा चरण माध्यमिक शिक्षा का रखा गया है। इसमें कक्षा 9, 10, 11 और 12 को शामिल किया गया है।

स्कूलों में आर्ट, कॉमर्स और साइंस स्ट्रीम का कोई कठोर पालन नहीं होगा। अब छात्र का जो मन करेगा, वह अपनी मनपसंद का विषय लेकर पढ़ाई कर सकता है।

नई शिक्षा नीति में कुछ और महत्वपूर्ण बिंदुओं को शामिल किया गया है। मसलन, अब शिक्षकों के साथ-साथ अभिभावकों को भी पढ़ाई लिखाई के प्रति जागरूक किया जाएगा। अब छात्र को उसकी क्षमता के अनुसार पढ़ाया जाएगा और उसकी क्षमता को बढ़ाने पर पाठ्यक्रम का जोर होगा।

छात्रों की वैचारिक समझ को बढ़ाने पर शिक्षक जोर देंगे। रचनात्मकता और छात्रों की विशेष सोच को बढ़ावा दिया जाएगा। मतलब, छात्रों को केवल किताबी ज्ञान और रट्टू तोता नहीं बनाया जाएगा।

नई शिक्षा नीति के तहत अब छात्रों के लिए आर्ट और साइंस के बीच कोई कठिनाई नहीं होगी। किसी तरह का अलगाव भी नहीं रहेगा। पाठ्यक्रमों में मोरल साइंस, कॉन्स्टिट्यूशन यानी संवैधानिक शिक्षा को प्रमुख हिस्सा बनाया जाएगा। वर्ष 2040 तक सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को मल्टी सब्जेक्ट इंस्टिट्यूशन बनाना होगा।

उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए 3,000 छात्रों का पंजीकरण अनिवार्य होगा। 2030 तक हर जिले में कम से कम एक बड़ा मल्टी सब्जेक्ट हाई इंस्टिट्यूशन होना लाजमी है। संस्थानों का पाठ्यक्रम सार्वजनिक संस्थानों के विकास पर जोर देने वाला तैयार किया जाएगा।

बुधवार को लागू की गई नई शिक्षा नीति के मुताबिक शिक्षण संस्थानों के पास ओपन, डिस्टेंस लर्निंग और ऑनलाइन पाठ्यक्रम चलाने के विकल्प मिलेंगे। उच्च शिक्षा के लिए स्थापित किए गए डीम्ड और प्राइवेट यूनिवर्सिटी को भी अब विश्वविद्यालय के रूप में माना जाएगा।

मानव के बौद्धिक, सामाजिक, शारीरिक, भावनात्मक और नैतिक क्षमताओं को एकीकृत तौर पर विकसित करने पर शिक्षा नीति जोर देगी। नई शिक्षा नीति की एक और बड़ी खासियत होगी। इसमें संगीत, दर्शन, कला, नृत्य और रंगमंच को भी सब्जेक्ट के तौर पर पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है।

अब ग्रेजुएशन की डिग्री 3 और 4 साल की होगी। एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट बनाया जाएगा। छात्रों की काबिलियत और परफॉर्मेंस का डिजिटल रिकॉर्ड संरक्षित करके रखा जाएगा।

वर्ष 2050 तक स्कूल और उच्च शिक्षा प्रणाली के माध्यम से कम से कम 50 फ़ीसदी छात्रों को व्यवसायिक शिक्षा में शामिल होना होगा। गुणवत्ता, योग्यता और अनुसंधान के लिए एक नया राष्ट्रीय शोध संस्थान बनेगा। इसका ताल्लुक देश के सारे विश्वविद्यालयों से होगा।

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