धर्म/अध्यात्म

आज देशभर में मनाई जा रही बकरीद, जानें क्या है इसका महत्व

आज देशभर में बकरीद मनाई जा रही है।  ईद उल अजहा या ईद उल अदहा बकरीद को कहा जाता है। इसका अर्थ है कुर्बानी की ईद। इस्लाम को मानने वाले दो ईद मनाते हैं। पहली ईद रमजान का महीना खत्म होते ही आती है, उसे मीठी ईद भी कहा जाता है। दूसरी ईद कुर्बानी की ईद होती है, जिसे रमजान का महीना खत्म होने के लगभग 70 दिन बाद मनाया जाता है।

मुस्लिम धर्मावलम्बियों की मान्यता है कि हजरत इब्राहिम अपने बेटे हजरत इस्माइल को खुदा के हुक्म पर कुर्बान करने जा रहे थे, अल्लाह ने उनसे खुश होकर उनके बेटे को जीवनदान दे दिया, उसी दिन की याद को कुर्बानी का दिन मानकर बकरीद मनाई जाती है। कोरोना के चलते इस बार मीठी ईद भी सादगी के साथ मनाई गई और सामूहिक नमाज से दूरी रखी गई थी। चूंकि अभी भी कोरोना का प्रकोप कम नहीं हुआ है, इसलिए माना जा रहा है कि पूरी दुनिया में ही ईद सादगी के साथ मनाई जाएगी। ईद की मुबारकबाद भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए ही दूर से देने की अपील की जा रही है।

मस्जिद में सिर्फ 5 लोग करेंगे नमाज अदा 

कानपुर के बैरी स्थित नई मस्जिद के पेश ईमाम मौलाना मोहम्मद हनीफ कादरी ने बताया कि कोरोना महामारी को देखते हुए इस बार ईद उल अदहा सादगी से मनाने का ऐलान किया है। ईद उल अदहा की नमाज का वक्त सुबह 7 बजे मुकर्रर किया गया है। मस्जिद में सिर्फ पांच लोग नमाज अदा करेंगे। बाकी लोगों को अपने घरों में नमाज पढ़ने को कहा गया है। जानवर की कुर्बानी बंद जगह में की जाएगी। किसी भी तरह भीड़ इकट्ठा नहीं करने की गुजारिश भी लोगों से की गई है।

बकरीद पर ऑनलाइन कुर्बानी

हर बार बकरीद से पहले पशु बाजार सज जाते हैं। कुर्बानी के लिए देश के हर शहर गांव के आसपास लगे मेले से मुस्लिम धर्मावलम्बी बकरा खरीदते हैं और ईद के दिन कुर्बानी के साथ बकरीद का त्यौहार मनाते हैं। इस बार कोरोना में ज्यादा लोगों के जमा होने के खतरे के कारण पशुओं की खरीद ऑनलाइन भी की जा रही है। कई ऑनलाइन साइट्स पशुओं की खरीद करवा रही हैं तो कई ऑनलाइन साइट्स पर लाइव कुर्बानी का ऑफर दिया जा रहा है। ऐसी साइट्स कुछ राशि लेकर ऑनलाइन कुर्बानी बकरीद पर रखवा रही हैं।

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