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राम जन्मभूमि पूजन के लिए पीले रंग में रंगे अयोध्या शहर के चौक-चौराहे

राम जन्मभूमि का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 अगस्त को करने वाले हैं. अयोध्या को त्रेतायुग से जोड़ने के लिए रामनगरी के प्रमुख मार्गों और चौराहों को रामायण और श्रीराम से जुड़े हुए प्रसंगों से सजाया जा रहा है.

रामायण के प्रसंगों के चित्रों को शहर के मुख्य मार्गों और चौराहों पर पेंट करके उन्हें सुशोभित किया जा रहा है. शहर के क्या महत्वपूर्ण स्थल, और क्या सड़कों के किनारे की दीवारें,

सभी को पीला रंगा जा रहा है. इसमें मकान, दुकानें और अन्य निर्माण सब शामिल हैं अयोध्या की मुख्य सड़क के दोनों तरफ पीला ही पीला दिखने लगा है.

हिंदू परंपरा की बात की जाए तो पीले रंग का इस्तेमाल धार्मिक अनुष्ठान, पूजा पाठ और विद्या के लिए बहुत शुभ माना जाता है. घरों की बाहरी दीवारों पर पीले रंग पुताई अच्छी मानी जाती है.

रामलला के मुख्य पुजारी महंत सत्येंद्र दास का कहना है कि पीला रंग भगवान विष्णु का प्रिय है इसलिए अयोध्या को पीले रंग से रंगना शहर को ईश्वर के रंग में रंगने जैसा है.

दास ने कहा कि आप इसे सिर्फ पीला ना कहें, भगवा हो या गेरुआ, यह सब पीले के ही प्रकार हैं. क्योंकि भगवान विष्णु को पीतांबर कहा गया है इसलिए अयोध्या को पीला किया जाना, इसे ईश्वर के रंग में सराबोर करने के समान है.

महंत सत्येंद्र दास के मुताबिक यूं तो भगवान राम का वस्त्र प्रतिदिन रंगों के हिसाब से बदला जाता है, लेकिन पीले रंग का एक वस्त्र हमेशा से भगवान राम के गले में होता है.

हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक और जैसा कि महंत सत्येंद्र दास ने बताया, पीले रंग का भगवान विष्‍णु से खास जुड़ाव माना जाता है.

इन मान्यताओं में भगवान विष्णु के सातवें प्रमुख अवतार भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से जाना जाता है और इस अवतार में भगवान विष्णु ने समस्त लोकों को मर्यादा में रहने का संदेश दिया.

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