अर्ध सैनिक बलों को लेकर 11 अगस्त को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई
11 अगस्त को एक महत्वपूर्ण मसले पर दिल्ली उच्च न्यायालय में सुनवाई होगी. जिस वक्त इस मामले पर कोर्ट में सुनवाई चल रही होगी
उस वक्त देश के काफी अर्धसैनिक बलों के जवानों का ध्यान दिल्ली उच्च न्यायलय पर रहेगा, क्योंकि ये मामला ही जवानों से संबंधित है.
दरअसल, केन्द्रीय शहरी मंत्रालय द्वारा एक निर्देश दिया गया है कि जिन जवानों का तीन साल दिल्ली में हो गया है वो जल्द से जल्द सरकारी आवास खाली कर दें.
नहीं तो अगस्त महीने के बाद उसी सरकारी आवास का सरकारी किराया साढ़े सात सौ रुपये के स्थान पर 32 हजार रुपये देना पड़ेगा.
इस निर्देश के बाद हजारों जवानों की नींद उड़ी हुई है, क्योंकि इनमें से अधिकांश देश की सीमावर्ती इलाकों में तैनात हैं या नक्सल विरोधी ताकतों के खिलाफ किसी अन्य राज्यों में तैनात हैं.
लेकिन उनका परिवार दिल्ली में पढ़ाई- लिखाई कर रहा है. या उनके बुजुर्ग माता -पिता अपने बेटे के साथ न रहकर दिल्ली में रहकर अपना इलाज करा रहे होते हैं.
लेकिन अब उन लोगों को कहा गया है कि जहां जवान की तैनाती है वहीं रहना होगा. या फिर निजी आवास में किराए पर शिफ्ट करना होगा. अब उस सरकारी आवास को खाली करना होगा.
बहुत सारे ऐसे जवान जो दिल्ली -एनसीआर में पोस्टेड होते हैं तो उन लोगों को दिल्ली में सरकारी आवास तीन सालों के लिए ही आवंटित होता है. उसके बाद उनके बच्चे भी वहीं दिल्ली -एनसीआर में पढ़ाई भी करने लगते हैं.
और अक्सर ये भी देखने को मिलता है कि अचानक अगर जवान का ट्रांसफर हो जाता है तो जवान घर खाली नहीं करता है. क्योंकि उन जवानों को ऐसा लगता है कि निजी आवास में रखने से ज्यादा बेहतर है कि अपने परिवार को उसी सरकारी आवास में रखा जाए.
क्योंकि वहां एक जैसा माहौल होता है और बच्चे और घर परिवार के लोग वहां ज्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं. इसलिए जवान दिल्ली वाला आवास खाली नहीं करते हैं, इनमें से कई जवानों की मजबूरी भी होती है .
पिछले कुछ समय पहले केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय द्वारा एक निर्देश जारी किया गया था कि जो जवान दिल्ली से बाहर कहीं कार्यरत हैं उन्हें एक निश्चित समय अवधि के बाद दिल्ली स्थित सरकारी आवास छोड़ना होगा.
अगर वो दिल्ली स्थित सरकारी आवास नहीं छोड़ेंगे तो उसे करीब 32 हजार रुपये प्रत्येक महीने के हिसाब से किराया देना पड़ेगा.
केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय से जुड़े कर्मचारियों ने कई जवानों को इस मामले में जल्द से जल्द दिल्ली स्थित सरकारी आवास खाली करने का नोटिस थमा दिया है.
जबकि अभी उन जवानों को सरकारी आवास के बदले करीब साढ़े सात सौ रुपये देने पड़ते हैं, लेकिन 32 हजार रुपये देना किसी भी जवान के लिए बहुत मुश्किल भरा हो सकता है.
इसलिए मामले की गंभीरता को देखते हुए जवानों का संगठन ने दिल्ली उच्च न्यायलय का दरवाजा खटखटाते हुए याचिका दायर की है , जिस पर इसी महीने की 11 तारीख को सुनवाई होगी.