चीन ने अब लिपुलेख बॉर्डर पर तैनात किए अपने 1000 जवान
बॉर्डर इलाकों में चीन की खुराफात कम होने का नाम नहीं ले रही है. पिछले महीने लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच गतिरोध के बाद अब उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे के पास मौजूद सीमा पर भी चीन ने खुराफात शुरू कर दी है. उच्च हिमालयी इलाके में मौजूद लिपुलेख दर्रे के पार वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन ने खुराफात तेज़ कर दी है.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, चीन ने लिपुलेख दर्रे से सटे अपने इलाके में एक बटालियन को तैनात किया है. बटालियन में करीब 1000 जवान हैं. 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद ये पहला मौका है जब चीन ने लिपुलेख दर्रे के पार इतनी बड़ी संख्या में आर्मी को तैनात किया हैं.
सुरक्षा के लिहाज से ये इलाका अतिमहत्वपूर्ण है. इसी क्षेत्र में टिंकर के पास भारत-चीन और नेपाल की सीमा लगती है. तीनों मुल्कों का ये इकलौता सेंटर प्वाइंट है. इसी इलाके में कालापानी, लिम्पियाधूरा और लिपुलेख को लेकर नेपाल के साथ भारत का सीमा विवाद चल रहा है.
बीते दिनों नेपाल ने भारत के इन तीनों इलाकों को अपने नए राजनीतिक नक्शे में शामिल किया है. 380 वर्ग किलोमीटर के ये तीनों इलाके 16 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर मौजूद हैं.
इसी साल 8 मई को भारत ने लिपुलेख दर्रे को जोड़ने वाली 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्धघाटन किया है, जिसके बाद ये इलाका लगातार सुर्खियों में है.नेपाल ने लिपुलेख पास तक सड़क के उद्घाटन के बाद से ही भारत पर उसकी जमीन में सड़क बनाने का आरोप लगाया है.
जानकार मानते हैं कि इस इलाके में चीन, नेपाल को आगे करके विवाद खड़ा करना चाह रहा है. भारत का भी इस इलाके में मजबूत सुरक्षा तंत्र मौजूद है. आईटीबीपी के जवान गूंजी से लिपुलेख तक भारी संख्या में तैनात हैं. यही नहीं भारतीय सेना की भी यहां अच्छी-खासी मौजूदगी है.
लिपुलेख सड़क के उद्घाटन के बाद बढ़ते विवाद को देखते हुए आईटीबीपी और सेना के जवानों की तैनाती पहले से ज्यादा कर दी गई है. घटियाबगड़ से आगे सेना पुलिस को चप्पे-चप्पे पर तैनात किया गया है.
स्थानीय लोगों के अलावा किसी भी बाहरी व्यक्ति को आगे नहीं जाने दिया जा रहा है. आईटीबीपी के अधिकारियों का कहना है कि घटियाबगड़ से आगे लिपुलेख तक हर जगह उनकी बेहतर मौजूदगी है.