LIVE TVMain Slideदिल्ली एनसीआरदेशस्वास्थ्य

एम्‍स में चल रहा है कोवैक्सिन का ह्यूमन ट्रायल में समस्‍या

देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले 2 करोड़ का आंकड़ा पार कर चुके हैं. दुनियाभर में इस जानलेवा संक्रमण को मात देने के लिए कई संभावित वैक्‍सीन का ट्रायल चल रहा है. ये ट्रायल इंसानों पर हो रहा है.

दिल्‍ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान में भी भारत की संभावित वैक्‍सीन कोवैक्सिन का ह्यूमन ट्रायल दो हफ्ते पहले ही शुरू हुआ है, लेकिन अब इसमें एक समस्‍या दिख रही है.

इस क्‍लीनिकल ह्यूमन ट्रायल में हिस्‍सा लेने वाले 20 फीसदी वॉलंटियर्स के शरीर में पहले से ही कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनी हुई है. ऐसे में वे टेस्‍ट के लिए उपयुक्‍त नहीं हैं. इनका अनुपात हर पांच में से एक वॉलंटियर का है.

एम्‍स के सूत्रों के अनुसार एम्‍स ने दो हफ्ते पहले स्‍वदेशी वैक्‍सीन कोवैक्सिन के ह्यूमन क्‍लीनिकल ट्रायल करने की प्रकिया शुरू की थी. इस दौरान करीब 80 वॉलंटियर की स्‍क्रीनिंग की गई. लेकिन इनमें से सिर्फ 16 को ही ट्रायल के लिए उपयुक्‍त पाया गया. संस्‍थान को 100 वॉलंटियर में कोवैक्सिन के प्रभाव का अध्‍ययन करीब 2 हफ्ते करना था.

कोरोना वायरस की संभावित वैक्‍सीन कोवैक्सिन के ह्यूमन ट्रायल में शामिल होने वाले 18 से 55 साल तक के वॉलंटियर को पहले से किडनी, लिवर, फेफड़े, डायबिटीज जैसी समस्‍या नहीं होनी चाहिए. इन वॉलंटियर पर ह्यूमन ट्रायल करने से पहले इनकी ये सब जांच भी की जा रही हैं.

एम्‍स में कोवैक्सिन के ह्यूमन ट्रायल का करीब से अध्‍ययन करने वाले एक डॉक्‍टर के अनुसार रिजेक्‍शन रेट काफी अधिक है. हम सिर्फ स्‍वस्‍थ वॉलंटियर को ही भर्ती कर रहे हैं.

करीब 20 फीसदी वॉलंटियर के शरीर के अंदर हमने पहले से ही कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी पाई हैं. एंटीबॉडी का मतलब है कि वह व्‍यक्ति पहले ही कोरोना वायरस से संक्रमित रहा है और अब ठीक हो चुका है. ऐसे में इन वॉलंटियर में वैक्‍सीन का प्रभाव देखना काफी कठिन है.

आपको बता दें कि स्‍वदेशी वैक्‍सीन कोवैक्सिन के ह्यूमन ट्रायल के लिए एम्‍स को 3500 से अधिक एप्लिकेशन मिली थीं. 24 जुलाई को 30 साल के एक व्‍यक्ति को कोवैक्सिन की पहली डोज दी गई. पहला हफ्ते वह एकदम ठीक रहा है. अब डॉक्‍टर उसपर आगे निगरानी रखे हुए हैं.

Related Articles

Back to top button