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क्या हरिद्वार महाकुंभ पर भी कोरोना का काला साया लगा मंडराने आइये जानते है ?

कोरोना ने इस साल बहुत से आयोजनों के परंपरागत तरीके को प्रभावित किया है. फिर चाहे बात चारधाम यात्रा की हो या कांवड़ यात्रा की. ईद की हो या फिर नवरात्रों की.

कोरोना के कारण लोग घरों में रहने को मजबूर हैं सोशल डिस्टेंसिंग ने त्योहारों के मेल मिलाप को जैसे नजर लगा दी है. ऐसे ही अब हरिद्वार में लगने वाले महाकुंभ पर भी कोरोना काल का साया मंडरा रहा है. कुंभ की सदियों पुरानी परंपरा भी इस बार प्रभावित हो सकती है.

माना जा रहा है कि अगर कोरोना का संक्रमण नहीं रुकता है तो सरकार महाकुंभ के आयोजन पर बड़ा फैसला ले सकती है.

उत्तराखंड के मुख्य सचिव कहते हैं कि अगर कोरोना के संक्रमितों की संख्या बढ़ती रही तो उन्हें सोचना होगा. इसके लिए उन्होंने प्लान बी भी तैयार किया है. वहीं, सूत्र बताते हैं कि अगर आयोजन से पहले वैक्सीन आ जाती है तो महाकुंभ संभव भी हो सकता है.

उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने जून में संकेत दिए थे कि अगर हालात नहीं सुधरते हैं तो कुंभ का आयोजन प्रतीकात्मक रूप से होगा.

उन्होंने कहा था कि मेले का आयोजन सीमित ढंग से होगा. बताते चलें कि अगले साल 11 मार्च को पहला शाही स्नान होना है.

गौरतलब है कि 11 मार्च 2021 को पहला शाही स्नान होना है. सूत्र बताते हैं कि उससे पहले फरवरी में कोरोना संक्रमण और कुंभ के आयोजन को लेकर समीक्षा बैठक होगी.

इसमें सरकार परिस्थितियों की समीक्षा करेगी. माना ये भी जा रहा है कि अगर हालात ठीक नहीं होते हैं तो फिर सभी 13 अखाड़ों के 3 – 3 प्रतिनिधि संत ही प्रतीकात्मक रूप से गंगा स्नान करेंगे.

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