प्रखर राष्ट्ररवादी छवि वाले नेता योगी आदित्यनाथ को चुना गया देश का सबसे लोकप्रिय CM
प्रखर राष्ट्ररवादी छवि वाले नेता योगी आदित्यनाथ को देश का सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री चुना गया है। यह सर्वे एक मीडिया ग्रुप ने अपने सहयोगी संस्थान के साथ मिलकर किया था। जनता ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सबसे अच्छा माना और वह सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री साबित हुए हैं।
ममता बनर्जी, नीतीश कुमार तथा अरविंद केजरीवाल जैसे दिग्गजों के बीच उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ का देश का सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री बनना निश्चित ही उनकी कार्यशैली को प्रदर्शित करता है। कर्मठ व जुझारू छवि के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 18-18 घंटा काम करने प्रदेश को विकास के मार्ग पर लाने में लगे हैं। बतौर मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश में करीब साढ़े वर्ष के अपने कार्यकाल में योगी आदित्यनाथ ने देश में अपनी कार्यशैली के कारण अलग जगह बना ली है। हर मुश्किल घड़ी में संयम के साथ खड़े सीएम योगी आदित्यनाथ को देश की 24 प्रतिशत जनता ने सर्वाधिक लोकप्रिय बनाया है। उनके बाद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल हैं, उनको 15 प्रतिशत लोग लोकप्रिय मानते हैं।
मीडिया ग्रुप ने देश के विभिन्न राज्यों की सरकारों के कामकाज को लेकर भी सर्वे किया। सर्वे में जनता से देश के अलग-अलग राज्यों में वहां की सरकार के शासन को लेकर सवाल पूछे गए। इनमें जनता ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सबसे अच्छा माना और वह सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री साबित हुए। सर्वे 19 राज्य, 97 लोकसभा क्षेत्र व 194 विधानसभा क्षेत्र के 12 हजार 21 लोगों से वार्ता के आधार पर किया गया।
मुख्यमंत्रियों के काम का असर देखने के लिए मुड ऑफ द नेशन के तहत सर्वे में सबसे अधिक 24 फीसदी लोगों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के काम को पंसद किया। 15 से 27 जुलाई के बीच हुए सर्वे में इन सभी ने माना कि वह सबसे अच्छा काम कर रहे हैं। यही सवाल जनवरी में भी किया गया था, तब 18 फीसदी लोग उन्हेंं पसंद कर रहे थे। यानी कि योगी आदित्यनाथ ने अपने कामकाज से अपनी लोकप्रियता में बढ़ोतरी की है। योगी आदित्यनाथ व केजरीवाल के बाद तीसरे नंबर पर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी हैं। उनके काम को 11 फीसदी लोगों ने पंसद किया है। इस सर्वे में अपने ही राज्य की जनता से सवाल में सबसे लोकप्रिय सीएम आंध्र प्रदेश के वाईएस जगन मोहन रेड्डी हैं। सर्वे में शामिल हुए प्रदेश के 87 फीसदी लोगों ने उनके काम को पसंद किया और अच्छा माना। दूसरे नबंर पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हैं जबकि इसमें उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ छठे नंबर पर हैं।
इस सर्वे में 12 हजार 21 लोगों से बात की गई। इनमें से 67 फीसदी ग्रामीण जबकि शेष 33 फीसदी शहरी जनता थी। सर्वे आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के लोगों से किया गया। इसमें 52 फीसदी पुरुष, 48 फीसदी महिलाएं शामिल थीं। 86 फीसदी हिंदू, नौ फीसदी मुस्लिम व पांच फीसदी अन्य धर्मों के लोगों से उनकी राय जानी गई। जिन लोगों पर सर्वे किया गया उनमें 30 फीसदी सवर्ण, 25 फीसदी एससी-एसटी व 44 फीसदी अन्य पिछड़े वर्ग के लोग शामिल थे। सर्वे के सैंपल में किसान, नौकरी पेशा, बेरोजगार, व्यापारी, छात्र आदि को शामिल किया गया था।
गोरखपुर के प्रसिद्ध गोरखनाथ मन्दिर के महंत योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के 21वें मुख्यमंत्री हैं। इन्होंने 19 मार्च 2017 को विधान सभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की बड़ी जीत के बाद यहां 21वें मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इससे पहले 1998 से 2017 तक भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और 2014 लोकसभा चुनाव में भी यहीं से सांसद चुने गए थे। सीएम योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर के पूर्व महन्त अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी हैं। यह हिन्दू युवाओं के सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी समूह हिन्दू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं, तथा इनकी छवि एक प्रखर राष्ट्ररवादी नेता की है।
राजनैतिक जीवन
सबसे पहले 1998 में योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े और जीत गए। तब इनकी उम्र केवल 26 वर्ष थी। वह देश के सबसे युवा सांसद थे। 1999 में गोरखपुर से पुन: सांसद चुने गए। अप्रैल 2002 में इन्होंने हिन्दू युवा वाहिनी का गठन किया। 2004 में तीसरी बार लोकसभा का चुनाव जीता। 2009 में दो लाख से ज्यादा वोटों से जीतकर लोकसभा पहुंचे। 2014 में पांचवी बार एक बार फिर से दो लाख से ज्यादा वोटों से जीतकर सांसद चुने गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत मिला, इसके बाद उत्तर प्रदेश में 12 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए। इसमें योगी आदित्यनाथ से काफी प्रचार कराया गया, लेकिन परिणाम निराशाजनक रहा। 2017 में विधानसभा चुनाव में भाजपा अध्यक्ष ने सांसद योगी आदित्यनाथ से पूरे राज्य में प्रचार कराया। इन्हेंं एक हेलीकॉप्टर भी दिया गया। चुनाव में पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिला। 19 मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश के भाजपा विधायक दल की बैठक में योगी आदित्यनाथ को विधायक दल का नेता चुनकर मुख्यमंत्री पद सौंपा गया।
योगी आदित्यनाथ का जीवन परिचय
प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ का मूल नाम अजय सिंह बिष्ट है। उनका जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल में हुआ। इन्होंने 1977 में टिहरी के गजा के स्थानीय स्कूल में पढ़ाई शुरू की व 1987 में यहां से दसवीं की परीक्षा पास की। सस 1989 में ऋषिकेश के श्री भरत मंदिर इण्टर कॉलेज से इंटर मीडिएट की परीक्षा पास की। 1990 में ग्रेजुएशन की पढ़ाई करते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े। 1992 में श्रीनगर के हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से इन्होंने गणित के साथ बीएससी की परीक्षा पास की। इसके बाद इन्होंने ऋषिकेश में पुन: विज्ञान स्नातकोत्तर में प्रवेश तो लिया लेकिन राम मंदिर आंदोलन का प्रभाव और प्रवेश को लेकर परेशानी से उनका ध्यान अन्य ओर बंट गया।
गणित में एमएससी की पढ़ाई के दौरान 1993 में गुरु गोरखनाथ पर शोध करने गोरखपुर आए। गोरखपुर प्रवास के दौरान ही महंत अवैद्यनाथ के संपर्क में आए थे जो इनके पड़ोस के गांव के निवासी और परिवार के पुराने परिचित थे। अंतत: महंत की शरण में ही चले गए और दीक्षा ले ली। 1994 में अजय सिंह बिष्ट पूर्ण संन्यासी बन गए। जिसके बाद इनका नाम अजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्यनाथ हो गया। 12 सितंबर 2014 को गोरखनाथ मंदिर के पूर्व महन्त अवैद्यनाथ के निधन के बाद इन्हेंं यहां का महंत बनाया गया। दो दिन बाद इन्हेंं नाथ पंथ के पारंपरिक अनुष्ठान के अनुसार मंदिर का पीठाधीश्वर बनाया गया।
अहम पड़ाव
1. कम उम्र में बने सांसद
योगी आदित्यनाथ का नाम लोकसभा में पहुंचने वाले सबसे कम उम्र के सांसदों की सूची में भी शामिल है। गोखनाथ मंदिर के महंत अवैद्यनाथ ने उन्हेंं अपना उत्तराधिकारी घोषित किया जिसके बाद 1998 में वह सांसद चुने गए। योगी आदित्यनाथ जब 12वीं लोकसभा में सांसद बनकर पहुंचे तब उनकी उम्र मात्र 26 वर्ष थी। वह बारहवीं लोक सभा (1998-99) के सबसे युवा सांसद थे। इसके बाद योगी आदित्यनाथ लगातार पांच बार (1999, 2004, 2009 व 2014) में भी सांसद चुने जाते रहे।
2. धर्मांतरण के खिलाफ
योगी आदित्यनाथ धर्मांतरण के खिलाफ और घर वापसी के लिए काफी चर्चा में रहे। 2005 में योगी आदित्यनाथ ने कथित तौर पर 1800 ईसाइयों का शुद्धीकरण कर हिन्दू धर्म में शामिल कराया। ईसाइयों के इस शुद्धीकरण का काम उत्तर प्रदेश के एटा जिले में किया गया था।
3. 2008 में हुआ जानलेवा हमला
सांसद योगी आदित्यनाथ पर सात सितंबर 2008 को आजमगढ़ में जानलेवा हमला हुआ था। इस हमले में बाल-बाल बचे थे, यह हमला इतना बड़ा था कि सौ से अधिक वाहनों को हमलावरों ने घेर लिया और लोगों को लहुलुहान कर दिया था।
4. गोरखनाथ मंदिर ने दिलाई बड़ी पहचान
गोरखनाथ मंदिर में लोगों की बहुत आस्था है। मकर संक्राति पर हर धर्म और वर्ग के लोग बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने आते हैं। महंत दिग्विजयनाथ ने इस मंदिर को 52 एकड़ में फैलाया था। उन्हीं के समय गोरखनाथ मंदिर हिंदू राजनीति के महत्वपूर्ण केंद्र में बदला, जिसे बाद में महंत अवैद्यनाथ ने और आगे बढ़ाया। इसकेबाद उनके निधन के बाद महंत योगी आदित्यनाथ इस विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
5. महन्त अवैद्यनाथ के निधन के बाद बने मंहत
योगी आदित्यनाथ 12 सितंबर 2014 को गोरखनाथ मंदिर के पूर्व महन्त अवैद्यनाथ के निधन के बाद उन्हेंं यहां का महंत बने। इसके दो दिन बाद उन्हेंं नाथ संप्रदाय के पारंपरिक अनुष्ठान के मुताबिक मंदिर का पीठाधीश्वर बनाया गया।
6. हिन्दू वाहिनी का किया गठन
योगी आदित्यनाथ हिन्दू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं, जो हिन्दू युवाओं का सामाजिक, सांस्कृतिक व राष्ट्रवादी समूह है। इनकी छवि कथित तौर पर एक कट्टर हिन्दू नेता की है। राजनीति के मैदान में आते ही योगी आदित्यनाथ ने सियासत की दूसरी डगर भी पकड़ ली, उन्होंने कई बार विवादित बयान भी दिए, लेकिन दूसरी तरफ उनकी राजनीतिक हैसियत बढ़ती चली गई।
7. क्यों हैं लोगों की पसंद
आमजन का मत है कि सीएम योगी आदित्यनाथ जाति विशेष के विकास को मद्दनेजर न रखते हुए हिंदुत्व को आगे बढ़ाने पर फोकस करते हैं। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि योगी आदित्यनाथ के बारे में एक सांप्रदायिक नेता होने की हवा बना दी गई है जबकि ऐसा नहीं है। हर धर्म का आदर करते हैं, हां यदि अन्याय हो रहा है तो निश्चित ही उसकी मुखालिफत करना गलत नहीं है।
8. 2014 में मिली थी योगी को बड़ी जिम्मेदारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने 2014 में यूपी के उपचुनाव के लिए योगी आदित्यनाथ के हाथ में कमान दी थी। जिसके बाद वह फिर से चर्चा में आए थे। 11 सीटों पर हुए उपचुनावों में सिर्फ 3 सीटें ही भाजपा के झोली में आए लेकिन उस वक्त उनका कद और भी ऊंचा हो गया।