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मैंने कभी मुख्यमंत्री का पद मांगा ही नहीं : सचिन पायलट

सचिन पायलट अंततः लौट आए. सोमवार को कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा से पायलट ने मुलाकात की.

इस दौरान उन्होंने अपनी शिकायते बताईं. कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें आश्वस्त किया कि उनकी शिकायतों पर कार्रवाई की जाएगी.

वहीं कांग्रेस में वापस लौटने के बाद कहा है कि सचिन पायलट ने कहा की डेढ़ साल पहले कांग्रेस ने गहलोत को सीएम बनाया था और मैं डिप्टी सीएम था.

मुझे पता है कि जिस तरह से हमने योजना बनाई, उस हिसाब से काम नहीं किया लेकिन मैंने सीएम बनाए जाने की कोई मांग नहीं की.

सोनिया गांधी के अध्यक्ष होने से जुड़े एक सवाल पर पायलट ने कहा की कांग्रेस सोनिया गांधी के नेतृत्व में एकजुट है, उनका कद पार्टी से परे है.वह सबकी समस्याओं को सुनती है. सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी वाड्रा पार्टी को आगे ले जाएंगे.

पायलट ने कहा हम कई सालों से कांग्रेस के सदस्य हैं  हमने कुछ मुद्दे उठाए हमने इसे आलाकमान के समक्ष उठाया और हमारी पार्टी लोकतांत्रिक है कि हमारी बात सुनी गई और मुझे समाधान मिला

पायलट ने कहा मेरा रुख हमेशा स्पष्ट था. हम एक बदलाव चाहते थे. हमने अपनी राय दी. अब जब रोड मैप बन गया है, मुझे यकीन है कि जल्द ही बदलाव होंगे.

मुझे कई पदों पर काम करने का अवसर मिला है, लेकिन पद ही सब कुछ नहीं है. महत्वपूर्ण यह है कि आप दृढ़ विश्वास के साथ काम करें और आप उन लोगों के लिए जवाबदेह हैं जिन्होंने आपको वोट दिया है.

सहयोगियों पर प्राथमिकी दर्ज किये जाने के मामले पर पायलट ने कहा कि ‘मेरे सहयोगियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई. राजस्थान सरकार द्वारा कई कार्रवाई की गई थी.

हमने स्पष्ट कर दिया था कि हम हाईकमान से बात कर रहे हैं. आरोप लगाना बहुत आसान है. मैं इसमें नहीं पड़ना चाहता. मेरी दिक्कतों की ओर से ध्यान दिया गया.

मैं आरोपों से दुखी था और जो जांच का आदेश दिया गया था उसने हमें और कड़े फैसले लेने को मजबूर किया. हमने फैसला कर लिया था कि हमें सही तरीके से अपने मुद्दे उठाने हैं और इनका समाधान करना है

पायलट ने कहा कि ‘हमें वह नहीं करने दिया जा रहा था जो हम चाहते थे. सीएम गहलोत एक वरिष्ठ नेता हैं. गलतफहमी हो सकती है लेकिन उन्हें सार्वजनिक करने की आवश्यकता नहीं है.

मैं राजस्थान में कांग्रेस का नेतृत्व कर रहा हूं. हमने सरकार बनाने में मदद की लेकिन हमारे साथ गलत व्यवहार किया गया और एक ऐसा वक्त आया जब हमें अपनी आवाज उठाने को मजबूर होना पड़ा.

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