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कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को किसने बताया बुजुर्ग यह जाने पूरी खबर

राम मंदिर निर्माण के भूमिपूजन को लेकर ज्योतिरादित्या सिंधिया का बयान आया है. मंदिर का ताला खुलवाने पर कमलनाथ और शशि थरूर ने अलग-अलग दावे किए हैं.

इस पर सिंधिया ने निशासना साधा और कहा कि कांग्रेस को खुद पता नहीं उनके नेताओं ने क्या किया. सिंधिया एक समय में धुर विरोधी रहे कैलाश विजयवर्गीय के घर पहुंचे थे. उन्‍होंने इंदौर में बीजेपी कार्यालय में कार्यकर्ताओं की बैठक भी ली.

बता दें कि एमपीसीए में अक्सर आमने सामने रहे कैलाश विजयवर्गीय और ज्योतिरादित्य सिंधिया का मिलन नहीं हो पाया, लेकिन सिंधिया ने उनके घर जाकर अपने गिले शिकवे दूर करने का प्रयास जरूर किया.

कैलाश विजयवर्गीय की अनुपस्थिति में उनके बेटे विधायक आकाश विजयवर्गीय ने उनका स्वागत किया. सिंधिया ने कैलाश विजयवर्गीय के घर खाना खाया और उनके परिजनों ने जब सिंधिया से मराठी में बात की तो सिंधिया गदगद हो गए.

इससे पहले सिंधिया सुमित्रा महाजन और बीजेपी ऑफिस भी गए. मीडिया से चर्चा के दौरान उन्होने कांग्रेस की 15 महीने की सरकार के कार्यकाल के भ्रष्टाचार को जनता तक ले जाने की बात कही. भाजपा में शामिल होने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया पहली बार इंदौर आए थे.

सिंधिया ने राम मंदिर मुद्दे पर कहा कि आप कांग्रेस से सवाल पूछिए. एक तरफ पूर्व सीएम कमलनाथ कह रहे हैं कि राम मंदिर का ताला पूर्व पीएम राजीव गांधी ने खुलवाया था.

वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस नेता शशि थरूर कह रहे हैं कि ताला राजीव गांधी ने नहीं खुलवाया. कांग्रेस अपने आप में ही उलझ रही है. कांग्रेसियों को खुद ही पता नहीं कि उनके नेताओं ने क्या किया और क्या नहीं किया?

दिग्विजय सिंह के ट्वीट ‘चंबल का पानी गद्दारों से नफरत करता है’ पर सिंधिया ने कहा कि मैं किसी के ट्वीट पर कोई जबाव नहीं देता. वो अपनी बात कहने के लिए स्वतंत्र हैं.

वहीं, सिंधिया ने कैलाश विजयवर्गीय के एमपीसीए के गिले शिकवों के दूर करने के सवाल पर कहा कि कांग्रेस कुछ भी कहे, लेकिन अगर जिंदगी में हम लोग अच्छे रिश्ते कायम कर पाएं तो इससे बड़ी पूंजी क्या होती है. उन्‍होंने कहा कि कांग्रेस को सिर्फ सत्ता की चिंता है.

उन्हें न किसानों की चिंता है, न नौजवानों की चिंता है और न महिलाओं की चिंता है. उन्हें सिर्फ कुर्सी की चिंता है. लेकिन, शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी के एक-एक कार्यकर्ता को मध्य प्रदेश के विकास की चिंता है.

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