दिल्ली : स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने प्रेस कांफ्रेंस में सीरोलॉजिकल सर्वे की रिपोर्ट की जारी
दिल्ली के दूसरे सीरोलॉजिकल सर्वे की रिपोर्ट सामने आ गई है. रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई के महीने में 29.1% लोगों में कोरोना एंटीबॉडी मिली है. पहले सीरोलॉजिकल सर्वे में जून के महीने में 23.48% लोगों में एंटीबॉडी मिली थी. यानी दोनों सर्वे की रिपोर्ट की तुलना की जाये तो दिल्ली में 1 महीने कुल मिलाकर 5.62% लोगों में संक्रमण बढ़ा है जिनमे एंटीबॉडी मिली हैं.
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने एक प्रेस कांफ्रेंस में दूसरे सीरोलॉजिकल सर्वे की रिपोर्ट जारी करते हुए बताया कि दिल्ली में 1 अगस्त से 7 अगस्त तक सीरो सर्वे सैम्पल लिए गए थे. इस बार 29.1% लोगों में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी पाई गई हैं.
सर्वे के लिये 15,000 लोगों के सैम्पल दिल्ली के सभी 11 ज़िलों के अलग-अलग इलाकों से लिये गए थे. संत्येंद्र जैन ने कहा कि दिल्ली की आबादी लगभग 2 करोड़ है, और 15 हजार सैम्पल लिए गए थे यानी करीब 60 लाख लोगों में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी बन गई हैं.
हालांकि स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अभी तक हम हर्ड इम्युनिटी की तरफ नहीं बढ़े हैं, 70% लोग ऐसे हैं जिनमें एंटीबॉडी नहीं बने हैं.
आज जारी की गई सीरो सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 28.3% पुरुषों और 32.2% महिलाओं में एंटीबॉडी पाई गयी हैं. उम्र के हिसाब से 18 साल से कम उम्र के 34.7% लोगों में एंटीबॉडी पाई गयी हैं. 18 से 49 आयु वर्ग के 28.5% लोगों में और 50 साल या उससे अधिक आयु वर्ग के 31.2% लोगों में एंटीबॉडी पाई गई हैं.
सर्वे के लिये आयु वर्ग के हिसाब से सैम्पल साइज़ को तीन वर्गों में बांटा गया था. 5 साल से 17 साल कुल सैम्पल साइज़ का 25%, 18 साल से 49 साल 50% और 50 साल या उससे अधिक 25%.
दिल्ली के सभी 11 जिलों में सर्वे कराया गया था जिसके मुताबिक साउथ ईस्ट दिल्ली में सबसे ज़्यादा 33.2% लोगों में एंटीबॉडी पाई गई है.
जबकि पहले सीरो सर्वे में साउथ ईस्ट ज़िले में 22.12% लोगों में एंटीबॉडी पाई गई थीं, यानी इस बार 50.09% की बढ़ोत्तरी यहां देखने को मिली है. सबसे कम 16.3% एंटीबॉडीज साउथ वेस्ट ज़िले में पाई गई हैं. पिछले सर्वे में यहां 12.95% लोगों में एंटीबॉडी पाई गई थीं.
दिल्ली में सीरोलॉजिकल सर्वे के अगले दो चरण सितंबर और अक्टूबर महीने में कराये जायेंगे. इस सर्वे के तहत रैंडम ब्लड सैम्पल लिये जाते हैं. और ये टेस्ट किया जाता है कि कितने लोगों में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी बन गए हैं. जिन लोगों में एंटीबॉडीज पाये जाते हैं उसका मतलब है कि वो कोरोना से संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं.