पाकिस्तानी एजेंट की गिरफ्तारी के बाद UP एटीएस ने गोरखपुर से ISI जासूस हनीफ का हुआ पर्दा फाश
आइएसआइ के लिए जासूसी करने के आरोपित हनीफ उर्फ आरिफ का राज, कश्मीर में पाकिस्तानी एजेंट की गिरफ्तारी के बाद खुला। सेना की खुफिया एजेंसी (मिलीट्री इंटेलीजेंस) ने इस साल जुलाई में कश्मीर से पाकिस्तान एजेंट को गिरफ्तार किया था। उससे पूछताछ और उसके मोबाइल फोन के काल डिटेल से हनीफ के बारे में पता चला। हनीफ उर्फ आरिफ और कश्मीर में पकड़े गए पाकिस्तानी एजेंट से कई एटीएस को कई अहम जानकारी मिली है। पता चला है कि भारत के एक खास समुदाय के ऐसे मध्यमवर्गीय परिवारों के युवकों को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी अपने जाल में फंसा रही है, जिनकी रिश्तेदारी पाकिस्तान में है और वे वहां आते-जाते रहते हैं। हनी ट्रैप और रुपये का लालच देकर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी देश के विरुद्ध षडय़ंत्र रचने के लिए इन युवकों को हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रही है।
कजिन की शादी पाकिस्तान में हुई है
कोतवाली इलाके के जाफरा बाजार निवासी हनीफ उर्फ आरिफ को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के लिए देश के विरुद्ध जासूसी करने के आरोप में एटीएस ने दो दिन पहले हिरासत में लिया था। हालांकि पूछताछ के बाद सोमवार को उसे छोड़ भी दिया। हनीफ की रिश्ते की बहन (कजिन) हाजरा की शादी, पाकिस्तान के कराची शहर में हासिम अंसारी के साथ के साथ 2014 में हुई थी। पहली बार हनीफ बहन की शादी में शामिल होने के लिए पाकिस्तान गया था। इसके बाद उसकी सगी बहन जरीना की शादी भी कराची में ही शाहिद के साथ हो गई। सगी बहन की शादी होने के बाद हनीफ का पाकिस्तान आने-जाने का सिलसिला शुरू हो गया। 2014 से 2018 के बीच उसने चार बार पाकिस्तान की यात्रा की थी।
आखिरी यात्रा में हुआ हनी ट्रैप का शिकार
हनीफ और आरिफ आखिरी बार दिसंबर 2018 में पाकिस्तान गया था और फरवरी 2019 में भारत लौटा था। एटीएस की पूछताछ में पता चला है कि इसी यात्रा के दौरान ही वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के बिछाए हनी ट्रैप में फंस गया। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के एजेंट योजनाबद्ध ढंग से उसे कराची के रेड लाइट एरिया में ले गए। वहीं पर उन्होंने उसकी आपत्तिजनक फोटो बना ली थी। बाद में उसी फोटो का इस्तेमाल कर वे उसे ब्लैकमेल कर जासूसी करने के लिए मजबूर कर दिया।
एक तस्वीर भेजने के मिलते थे पांच हजार
पूछताछ में हनीफ ने स्वीकार किया है कि पाकिस्तानी आका को एक तस्वीर भेजने के बदले उसे पांच हजार रुपये मिलते थे। एयरफोस स्टेशन के मुख्य गेट के साथ ही कूड़ाघाट स्थित गोरखा रेजीमेंट के कुछ हिस्सों और रेलवे स्टेशन की तस्वीर तथा कुछ सूचनाएं उसने पाकिस्तानी आका को भेजने की बात कबूल की है।
भाई के नाम से सेव किया था पाकिस्तानी हैंडलर का नाम
काफी पूछताछ के बाद भी हनीफ ने पाकिस्तान में बैठकर आदेश-निर्देश देने वाले अपने आका का नाम नहीं बता पाया। इस बाबत पूछे गए हर सवाल के जवाब में वह हैंडलर का नाम न मालूम होने की बात दोहराता रहा। मोबाइल फोन में उसने पाकिस्तानी हैंडलर का मोबाइल नंबर, भाई के नाम से सेव किया था।
हनीफ के मोबाइल नंबर से बनाया था वाट्स एप ग्रुप
हनीफ ने बताया कि पाकिस्तानी हैंडलर ने ही उसके मोबाइल नंबर से वाट्स एप ग्रुप बनाया था। उसी वाट्स एप ग्रुप में सूचनाएं और फोटो भेजना रहता था। ग्रुप में कई भारतीय फोन नंबरों के साथ ही पाकिस्तानी मोबाइल नंबर जुड़े थे। भारतीय नंबरों की काल डिटेल और टावर लोकेशन निकलवाकर उनकी जांच-पड़ताल की जा रही है। माना जा रहा है कि इन नंबरों का भी कोई न कोई संबंध पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के बिछाए नेटवर्क से जरूर है।
गोरखपुर में चाय की दुकान चलाता है हनीफ
आइएसआइ के लिए जासूसी करने के आरोप में हिरासत में लिए जाने के बाद सुर्खियों में आया हनीफ जाफरा बाजार में ही घर के पास चाय की दुकान चलाता है। बताते हैं कि सुबह-शाम उसकी दुकान पर काफी भीड़ भी होती है। हालांकि कोतवाली पुलिस हनीफ और उसकी गतिविधियों के बारे में कोई जानकारी होने की बात से इन्कार कर रही है। फिलहाल उसके परिवार के बारे में भी कुछ पता नहीं चल पाया है।