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टर्निंग प्वाइंट: शंघाई सहयोग संगठन में विदेश मंत्री जयशंकर-वांग यी के बीच 9 से 11 सितंबर के बीच मुलाकात होगी

वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जारी तनातनी मामले में मॉस्को में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक भारत-चीन के द्विपक्षीय रिश्ते के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हो सकती है।

दोनों देशों के बीच तनाव कम कराने में जुटा रूस मॉस्को में भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की बैठक कराने में जुटा है। अगर इस बातचीत में भी एलएसी पर जारी तनातनी का हल नहीं निकला तो दोनों देशों के बीच कूटनीतिक तनाव एक बार फिर से चरम पर पहुंचेगा।

दरअसल सैन्य और कूटनीति स्तर की कई दौर की बातचीत के बावजूद चीन के रवैये के कारण विवाद का हल नहीं निकल पा रहा। सूत्रों का कहना है कि एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक में जयशंकर का शिरकत करना तय है।

जहां तक उनकी अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात की बात है तो भारत इससे पहले एलएसी विवाद पर चीन की ओर से कुछ ठोस पहल की उम्मीद कर रहा है। यह तय है कि अगर मुलाकात पर सहमति बनी मगर इसमें कुछ सकारात्मक हल नहीं निकला तो दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर तनातनी अपने चरम पर होगी।

बीते एक हफ्ते में भारत की ओर से चीन को शीर्ष स्तर पर दो बड़े संदेश दिए गए। सीडीएस विपिन रावत ने कहा कि विवाद का हल नहीं निकलने पर भारत सैन्य कार्रवाई के विकल्प को आजमा सकता है। जबकि विदेश मंत्री ने लद्दाख में साल 1962 के बाद सबसे अधिक तनावपूर्ण स्थिति का जिक्र किया। उन्होंने जोर दे कर कहा कि भारत अपने संप्रभुता की रक्षा करेगा। सूत्रों का कहना है कि दरअसल यह चीन को संदेश है।

संदेश साफ है कि भारत का सब्र लगातार कम हो रहा है। अब तक 106 एप्स पर प्रतिबंध लगाने के बाद भारत ने 225 और एप्स की सूची बनाई है। सूत्रों का कहना है कि अगर जयशंकर-वांग यी के बीच बातचीत में कोई हल नहीं निकला तो भारत तेजी से इस योजना पर अमल करेगा।

जयशंकर-वांग यी के बीच 9 से 11 सितंबर के बीच मुलाकात हो सकती है। मुलाकात के दौरान भारत अपने पुराने रुख पर अडिग रहेगा। भारत चाहता है कि सीमा विवाद पर बातचीत से पहले चीन हर हाल में एलएसी पर पूर्वस्थिति बहाल करे।

सैन्य और कूटनीतिक स्तर की बातचीत में चीन इस पर हामी भरता रहा है, मगर जमीन पर बातचीत के दौरान बनी सहमति पर अमल नहीं कर रहा।

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