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समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शायराना अंदाज में किया ट्वीट

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोमवार को शायराना अंदाज में ट्वीट किया. पूर्व मुख्यमंत्री ने लिखा कभी-कभी यूं भी रखी जाती है ‘इंसाफ़’ की आबरू.. हिफ़ाज़त में रख लिये जाएं कुछ फ़ैसलों के फ़ैसले वहीं अपने दूसरे ट्वीट ने अखिलेश यादव ने ट्वीट किया है

जिस प्रकार देशभर के परीक्षार्थियों ने अपनी ‘नापसंदगी’ दर्शाकर अपना रोष दर्ज किया है, उसने साफ़ कर दिया है कि चिंतित युवा और अभिभावक भी चाहते हैं कि सत्ताधारी अपना दंभ त्यागकर परिवारवालों की माँग सुनें. याद रहे पलटे हुए अंगूठे सत्ता भी पलट देते हैं. ये जनतंत्र है; मनतंत्र नहीं.

इससे पहले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आगे लिखा है कि भाजपा की तरफ से ये हास्यास्पद और तर्कहीन बात फैलाई जा रही है कि जब लोग दूसरे कामों के लिए घर से निकल रहे हैं तो परीक्षा क्यों नहीं दे सकते. भाजपाई सत्ता के मद में ये भी भूल गए कि लोग मजबूरी में निकल रहे हैं

अखिलेश यादव का शायराना ट्वीट, लिखा-

और जो लोग घर पर रहकर बचाव करना भी चाहते हैं आपकी सरकार परीक्षा के नाम पर उन्हें भी बाहर निकलने पर बाध्य कर रही है. ऐसे में अगर किसी परीक्षार्थी, उनके संग आए अभिभावक या घर लौटने के बाद उनके संपर्क में आए घर के बुजुर्गों को संक्रमण हो गया तो इसकी कीमत क्या ये सरकार चुकाएगी?

सपा अध्यक्ष ने लिखा है कि ऐसा लगता है कि भाजपा ये समझ चुकी है कि बेरोजगारी से जूझ रहा युवा और कोरोना, बाढ़ व अर्थव्यवस्था की बदमइंतजामी से त्रस्त गरीब, निम्न व मध्य वर्ग अ कभी उसको वोट नहीं देगा. इसीलिए वो युवाओं और अभिभावकों के खिलाफ प्रतिशोधात्मक कार्रवाई कर रही है. भाजपा को सिर्फ वोट देने वालों से मतलब है. नकारात्मक व हठधर्मी बदले की राजनीति करने वाली भाजपा व उसके सहयोगी दलों के खिलाफ देश में एक नई युवा क्रांति जन्म ले रही है. हम सब साथ हैं, आइए मिलकर कहें- जान के बदले एग्जाम, नहीं चलेगा-नहीं चलेगा.

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