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जाने अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण पर कितने का लगाया जुर्माना

वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भूषण पर 1 रुपये का जुर्माना लगाया है। सुप्रीम कोर्ट ने भूषण को 15 सितंबर तक 1 रुपये का जुर्माना जमा कराने को कहा है। जुर्माना नहीं देने पर उन्हें तीन महीने की सजा होगी और 3 साल तक के लिए वकालत पर रोक लग जाएगी। शीर्ष अदालत के फैसले के बाद भूषण आज शाम 4 बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपने आगे की रणनीति का खुलासा करेंगे।

जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता में जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा कि भूषण ने अपने बयान को पब्लिसिटी दिलाई उसके बाद कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लिया। कोर्ट ने फैसले में भूषण के कदम को सही नहीं माना।

25 अगस्त को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि माफी मांगने में गलत क्या है, क्या यह शब्द इतना बुरा है। बता दें कि भूषण माफी नहीं मांगने की जिद पर अड़े थे। प्रशांत भूषण ने अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा था कि वह अपने टि्वट के लिए माफी नहीं मांगेगे और अपने टि्वट पर अडिग हैं।

प्रशांत भूषण ने टि्वट किया था सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को अपने बयान पर दोबारा विचार करते हुए माफी मांगने को कहा था। सुनवाई में अटॉर्नी जनरल के. के वेणुगोपाल ने कोर्ट से भूषण को भविष्य के लिए चेतावनी देकर छोड़ने का सुझाव दिया था। दूसरी तरफ भूषण का पक्ष रख रहे राजीव धवन ने अपने मुवक्किल का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने कोई मर्डर या चोरी नहीं की है लिहाजा उन्हें शहीद न बनाया जाए।

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उच्चतम न्यायालय ने 14 अगस्त को भूषण को न्यायापालिका के खिलाफ उनके दो अपमानजनक ट्वीट के लिए उन्हें आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था।अदालत ने 14 अगस्त को चीफ जस्टिस और पूर्व चीफ जस्टिस के खिलाफ आपत्तिजनक टि्वट के मामले में प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का दोषी करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रशांत भूषण ने पूरे सुप्रीम कोर्ट के कार्यप्रणाली पर अटैक किया है

और अगर इस तरह के अटैक को सख्त तरीके से डील नहीं किया जाता है तो इससे राष्ट्रीय प्रतिष्ठा और ख्याति प्रभावित होगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि लोगों का न्यायपालिका के प्रति भरोसा और न्याय पाने की क्षमता ही न्यायपालिका की बुनियाद है। न्यायपालिका की बुनियाद को प्रभावित करने की कोशिश की जाएगी तो इससे लोगों का न्यायपालिका के प्रति अनास्था पैदा होगा। प्रशांत भूषण ने न सिर्फ झूठे आरोप लगाए बल्कि न्याय प्रशासन के वैभव पर अटैक किया।

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