राहुल गांधी समेत कई पार्टी नेताओं के संवेदनशीलता नहीं बरतने के आरोप को आनंद शर्मा ने बताया गैर वाजिब
कांग्रेस में चिट्ठी विवाद के पहलूओं से जुड़ा प्रकरण अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है। सोनिया गांधी की खराब सेहत के बीच 23 नेताओं के पार्टी की खराब स्थिति पर चिंतन के लिए भेजे गए पत्र के समय को लेकर राहुल गांधी के उठाए सवालों को कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने गैर वाजिब करार दिया है। शर्मा का दावा है कि सोनिया गांधी की सेहत की रोज खोज खबर लेने के बाद मुतमइन होने पर ही उन्हें यह पत्र भेजा गया और इस वजह से 15 दिनों तक इंतजार किया गया।
कांग्रेस कार्यसमिति की 23 अगस्त को हुई बैठक में पार्टी की मौजूदा चिंतनीय स्थिति पर सवाल उठाने वाले इस पत्र को लेकर जबरदस्त बवाल हुआ था। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पत्र लिखने वाले नेताओं को कठघरे में खडा करते हुए कहा था कि यह पत्र ऐसे समय भेजा गया जब उनकी मां अस्पताल में सेहत की चुनौती का सामना कर रहीं थीं। राहुल ने इन नेताओं पर संवदेनशीलता नहीं बरतने की तोहमत भी लगाई थी। आनंद शर्मा ने दैनिक जागरण से बातचीत में इस बारे में पूछे जाने पर कहा कि संवदेनशीलता नहीं बरतने की बात गलत है। पत्र लिखने वाले सभी नेता सोनिया गांधी के प्रति न केवल गहरी आस्था रखते हैं बल्कि उनकी सेहत की संवेदनशीलता का पूरा ख्याल रखा गया।
चिट्ठी भेजे जाने के घटनाक्रम को साझा करते हुए आनंद शर्मा ने कहा कि वास्तव में कांग्रेस के मौजूदा हालत पर आत्मचिंतन के लिए सोनिया गांधी को लिखा गया पत्र 23 जुलाई को ही तैयार हो गया था। इस पर हस्ताक्षर करने वाले सभी नेताओं ने पत्र के एक-एक शब्द को पढ़ा और पूरी तरह सहमति बनने के बाद केवल इसकी एक प्रति बनाई गई जिसे भेजने की जिम्मेदारी गुलाम नबी आजाद को सौंपी गई। इस बीच ही सोनिया गांधी की ओर से राज्यसभा के कांग्रेस सांसदों की 30 जुलाई की बैठक बुलाने की सूचना आ गई। तब पत्र लिखने वाले सभी नेताओं ने एक सुर में तय किया कि इस बैठक से पूर्व चिट्ठी भेजना उचित नहीं होगा।
आनंद शर्मा ने इसके बाद हुए घटनाक्रम का जिक्र करते हुए कहा कि राज्यसभा सांसदों की बैठक के बाद उसी शाम सोनिया गांधी गंगाराम अस्पताल में अपने रूटीन चेक अप के लिए भर्त्ती हो गई्ं और पत्र नहीं भेजा गया। कांग्रेस अध्यक्ष एक अगस्त को अस्पताल से वापस लौंटी। इसके बाद एक हफ्ते के दौरान गुलाम नबी आजाद ने खुद 10 जनपथ तीन बार फोन कर सोनिया गांधी की सेहत का अपडेट लिया और जब बताया गया कि सब ठीक है तब 7 अगस्त को पत्र भेजने का फैसला हुआ। शर्मा के मुताबिक पत्र पर तारीख 7 अगस्त की जरूर डाली गई मगर चिट्ठी 8 अगस्त की शाम को कांग्रेस अध्यक्ष के यहां पहुंचाया गया।
उन्होंने कहा कि इससे साफ है कि सोनिया गांधी की सेहत की संवेदनशीलता और भावनाओं का पूरा ख्याल रखते हुए चिठठी भेजी गई। लेकिन कांग्रेस के सामने उपस्थित मौजूदा गंभीर चुनौतियों पर चर्चा के लिए उठाए गए मुददों से ध्यान बंटाने के अभियान के तहत चिट्ठी भेजने वाले नेताओं को सुनियोजित तरीके से कठघरे में खड़ा किया गया। शर्मा के मुताबिक इस तरह का सवाल उठाने वाले तमाम पार्टी नेताओं ने पत्र का मजमून पढ़े और मकसद समझे बिना चिट्ठी लिखने वाले नेताओं को गद्दार तक घोषित कर डाला।