उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा-कश्मीर पंडितों की वापसी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आतंकवाद के दौर में घर-बार छोड़कर विस्थापित हुए कश्मीरी पंडितों को घाटी में सम्मानजनक वापसी का भरोसा दिया है। उन्होंने कहा कि विस्थापितों की कश्मीर में सम्मानजनक वापसी और प्रदेश के हर वर्ग के अधिकारों का संरक्षण प्रदेश प्रशासन की पहली और सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि खोखले नारों का समय बीत चुका है। अब नारों को हकीकत में बदलने का समय है।
मैं खोखले नारों में यकीन नहीं रखता हूं। मैं सिर्फ लोगों की समस्याओं और उनके मुद्दों को व्यवहारिकता के आधार पर हल करने में यकीन रखता हूं। उन्होंने कहा कि वह खुद विभिन्न इलाकों का दौरा कर आम लोगों की समस्याओं का जायजा ले रहे हैं। लोगों की विकास कार्यों की हकीकत और लोगों की समस्याओं को सुनने के लिए मनोज सिन्हा खुद ही उनके दरवाजे तक पहुंच रहे हैं।
Today visited Jagti Township and heard various welfare issues of residents;assured them that all the genuine issues and demands projected by them would be looked into meticulously for their early redressal. pic.twitter.com/3Glw6VtFZ4
— Manoj Sinha (@manojsinha_) September 7, 2020
सोमवार को वह जम्मू के बाहरी क्षेत्र जगती में विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए बनाई गई आवासीय कॉलोनी में थे। उपराज्यपाल बनने के बाद वह पहली बार कश्मीरी पंडितों के बीच उनकी कॉलोनी में पहुंचे थे। यहां विस्थापित कश्मीरी पंडितों द्वारा उनके लिए राजनीतिक आरक्षण और जगती माइग्रेंट टाउनशिप की तरह और भी कॉलोनियां बनाने की मांग पर उपराज्यपाल ने उन्हें पूरा भरोसा दिया है। कश्मीरी पंडितों से बातचीत में उन्होंने कहा कि प्रदेश प्रशासन जम्मू-कश्मीर के समग्र और समावेशी विकास के एजेंडे पर काम कर रहा है।
ये मांगें रखी गई
कश्मीरी पंडितों ने विस्थापितों के स्थायी पुनर्वास, राहत राशि में बढ़ोतरी, कश्मीरी पंडितों में उद्यमशीलता के प्रोत्साहन के लिए विशेष आर्थिक पैकेज, कश्मीर में कश्मीरी पंडितों की क्षतिग्रस्त संपत्ति का मुआवजा, कश्मीर में कश्मीरी पंडितों की जमीनों, मकानों पर हुए अवैध कब्जे हटाने, कश्मीरी पंडितों के लिए राजनीतिक आरक्षण और जगती जैसी कुछ अैर कॉलोनियां स्थापित करने की मांग की। उन्होंने अपनी मांगों के समर्थन में एक ज्ञापन भी उपराज्यपाल को सौंपा है।