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क्या अधीर रंजन चौधरी के सहारे पश्चिम बंगाल चुनाव पार लगाने की उम्मीद में कांग्रेस पढ़े पूरी खबर

कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल इकाई में महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए 64 वर्षीय अधीर रंजन चौधरी को कमान दी है. चौधरी फिलहाल लोकसभा में पार्टी के नेता हैं. अधीर रंजन चौधरी साल 2019 के लोकसभा चुनाव में ना सिर्फ अपनी सीट हासिल करने में सफल रहे, बल्कि उनकी राजनीतिक क्षमता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देखा और उनकी तुलना ‘लड़ाके’ से की थी.

उनकी कड़ी मेहनत को पार्टी ने पहचाना और जून 2019 में कांग्रेस ने अधीर को लोकसभा में नेता के रूप में घोषित किया. वे विपक्ष में बैठी कांग्रेस के अगुवा का पद संभालने वाले बंगाल के पहले सांसद बने. अधीर ने इससे पहले फरवरी 2014 और सितंबर 2018 के बीच पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया था. लोकसभा में कांग्रेस के नेता होने के अलावा, वह लोक लेखा समिति के अध्यक्ष भी हैं. इसके साथ ही अक्टूबर 2012 से मई 2014 तक उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की कैबिनेट में रेल राज्यमंत्री का पद भी संभाला.

9 सितंबर, 2020 को कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने अधीर को एक बार फिर पश्चिम बंगाल इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया. वह पहले से ही लोकसभा पार्टी के नेता की जिम्मेदारी निभा रहे हैं. ऐसे में उन्हें पार्टी की बंगाल इकाई का प्रमुख नियुक्त किया गया. इसे कई लोग 2021 में विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी को मजबूत करने के लिए पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के अच्छे कदम के रूप में देख रहे हैं.

Amit Shah Give Attack Answer On Adhir Ranjan's Question Cannot Fix  Condition Of Congress - अधीर रंजन को अमित शाह का जवाब- मैं, कांग्रेस की  हालत ठीक नहीं कर सकता | Patrika News

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के एक मुखर आलोचक के रूप में जाने जाने वाले अधीर के लिए फ्री चॉइस है, क्योंकि कांग्रेस के वोट शेयर में किसी भी तरह की वृद्धि, वाम मोर्चे के साथ गठबंधन को देखते हुए राज्य की सत्ता के लिए एक लाभ होगा. यह तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी के लिए चिंता का सबब बन सकता है.

2019 के लोकसभा चुनावों में टीएमसी को 43 प्रतिशत वोट मिले थे जो कि 2014 की तुलना में 5 प्रतिशत अधिक है. 2014 में TMC को 34 सीटें मिलीं, जबकि 2019 में यह केवल इसे केवल 22 सीटें ही मिलीं. लेकिन, 12 सीटों के हारने के बावजूद TMC का वोट शेयर बढ़ा है, जिसका मुख्य कारण मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण है. कांग्रेस का वोट प्रतिशत चार फीसद से घटकर दो हो गया, जबकि वाम मोर्चा 2019 में अपना खाता भी नहीं खोल पाया.

पश्चिम बंगाल चुनाव में अधीर रंजन के सहारे चुनावी नैया पार लगाने की उम्मीद में कांग्रेस

साल 2016 के विधानसभा चुनावों में भाजपा का वोट प्रतिशत 10.2 प्रतिशत था और 2019 के लोकसभा चुनावों में यह 40.3 प्रतिशत हो गया. 30.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई क्योंकि वाम और कांग्रेस के वोट भी बीजेपी को गए.

वहीं साल 2011 के विधानसभा चुनावों से लेकर 2016 के विधानसभा चुनावों और 2014 के लोकसभा चुनावों से लेकर 2019 के चुनावों तक कांग्रेस को लगभग 7.3 प्रतिशत वोटों का नुकसान हुआ है, जबकि माकपा को राज्य के चुनावों में 9.88 प्रतिशत और लोकसभा में अपना वोट शेयर 16 प्रतिशत खोना पड़ा.

हालांकि, साल 2011 से साल 2016 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का वोट प्रतिशत 8.91 प्रतिशत से बढ़कर 12.3 प्रतिशत हो गया, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में यह भारी गिरावट आई और 2019 के आम चुनावों पार्टी के सिर्फ 5 फीसदी वोट ही बचे.

हाल ही में एक वर्चुअल बैठक में ममता-सोनिया की आपसी समझ साफ झलक रही थी, जब यूपीए अध्यक्ष ने टीएमसी प्रमुख से राज्यों और केंद्र से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की अगुवाई करने को कहा. यह पहली बार नहीं है कि जब सोनिया ने भाजपा के खिलाफ बड़े राजनीतिक नेतृत्व की स्थिति लेते हुए ममता का समर्थन किया.

पॉलिटिक्स

जनवरी 2019 में कोलकाता के ब्रिगेड परेड मैदान में ‘महागठबंधन’ की रैली के दौरान सोनिया ने एक संदेश भेजा, जिसमें लिखा था आगामी लोकसभा चुनाव साधारण नहीं होगा. यह लोकतंत्र में राष्ट्र के विश्वास को बहाल करने का चुनाव होगा. यह रैली अहंकारी और विभाजनकारी मोदी सरकार से लड़ने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है. मैं इस रैली की सफलता की कामना करती हूं

यह पूछे जाने पर कि लोकसभा पार्टी के नेता के रूप में काम के दबाव को देखते हुए क्या वह नहीं सोचते हैं कि किसी और को बंगाल पार्टी इकाई प्रमुख नियुक्त किया जाना चाहिए था? चौधरी ने कहा मैं कांग्रेस पार्टी का एक आज्ञाकारी कार्यकर्ता हूं और मैं पार्टी हाईकमान के आदेश का पालन करता रहूंगा. मुझे राज्य इकाई की अगुवाई करने का आदेश मिला है. मैं इस पर सहमत हूं और यह चुनौती स्वीकार करता हूं.

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