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बड़ी खबर : अमेरिकी की ताइवान यात्रा से बौखलाया चीन दी ये धमकी

अमेरिका और ताइवान की बढ़ती नजदीकी से चीन बौखला गया है. चीन ने ताइवान को अंजाम भुगतने की चेतावनी दी है. हालांकि, ताइवान ने भी उसे करारा जवाब दिया है.

अमेरिकी विदेश विभाग के वरिष्‍ठ अधिकारी कीथ क्रैच की ताइवान यात्रा को ड्रैगन ने ‘उकसावे की राजनीति’ करार देते हुए कहा है कि इसके लिए ताइवान को भारी कीमत चुकानी होगी. सोमवार को एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने अप्रत्यक्ष रूप से ताइवान को धमकी देते हुए कहा कि हम संबंधित लोगों पर उचित जवाबी कार्रवाई करेंगे.

वांग ने अमेरिका को भी चेतावनी देते हुए कहा कि ताइवान से बढ़ती उसकी नजदीकी यूएस और चीन के बीच सहयोग के लिए नुकसानदायक है. चीनी प्रवक्ता ने आगे कहा कि ताइवान की स्वतंत्रता का कोई भी प्रयास एक डेड एंड की तरह है, जिसे विफल होना ही है.

चीन ने लड़ाकू विमान उड़ाकर दी युद्ध की धमकी तो ताइवान ने यूं किया पलटवार

केवल वांग ही नहीं चीनी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स की तरफ से भी ताइवान और उसकी राष्ट्रपति त्‍साई इंग-वेन को धमकी दी है. अखबार ने अपने बयान में कहा है, ‘ताइवान की नेता त्‍साई अमेरिकी विदेश मंत्रालय के अधिकारी के साथ डिनर करके आग से खेल रही हैं. यदि त्‍साई वेन के किसी कदम से चीन के कानून का उल्‍लंघन हुआ तो युद्ध शुरू हो जाएगा और ताइवानी नेता का सफाया कर दिया जाएगा’.

ताइवान ने भी चीन की धमकी का मुंहतोड़ जवाब दिया है. राष्ट्रपति कार्यालय के प्रवक्ता ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा पड़ोसी को केवल इसलिए मौत की धमकी कैसे दी जा सकती है कि उसने किसी विदेशी मेहमान के साथ डिनर किया?

अमेरिका और ताइवान की हुई गुटबाजी, तो बौखलाया चीन - YouTube

अमेरिकी अधिकारी क्रैच 17 सितंबर को ताइवान पहुंचे थे और उन्‍होंने 18 सितंबर को ताइवान की राष्‍ट्रपति त्‍साई इंग वेन के साथ डिनर किया था. इससे पहले अमेरिका के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री एलेक्‍स अजार भी ताइवान आए थे. अमेरिका की ताइवान से बढ़ती नजदीकी से चीन बौखला गया है.

उसे लगता है कि यदि अमेरिका ताइवान के ज्यादा करीब आ जाता है, तो उसका ताइवान को अपना बनाने का सपना कभी पूरा नहीं हो सकता. 1949 में गृहयुद्ध की समाप्ति के बाद से ताइवान चीन से अलग देश के रूप में अपनी पहचान बनाये हुए है, लेकिन बीजिंग इसे पुन: अपना बनाना चाहता है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में ताइवान और वाशिंगटन के रिश्तों में मजबूती आई है. कोरोना वायरस सहित विभिन्न मुद्दों पर चीन से नाराज चल रहे ट्रंप ताइवान के जरिये उसे चोट पहुंचाना चाहते हैं.

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