आज देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक-एक देशवासी अथक परिश्रम कर रहा है: PM मोदी
बीते सालों में ये निरंतर प्रयास किया गया है कि किसान को बैंकों से सीधे जोड़ा जाए। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत देश के 10 करोड़ से ज्यादा किसानों के बैंक खातों में कुल एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा ट्रांसफर किए जा चुके हैं।
भाजपा के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने निरंतर इस स्थिति को बदलने का काम किया है। पहले लागत का डेढ़ गुना एमएसपी तय किया, उसमें रिकॉर्ड बढ़ोतरी की और रिकॉर्ड सरकारी खरीद भी सुनिश्चित की।
किसानों को ऐसे कानूनों में उलझाकर रखा गया, जिसके कारण वो अपनी ही उपज को अपने मन मुताबिक बेच भी नहीं सकता था। नतीजा ये हुआ कि उपज बढ़ने के बावजूद किसानों की आमदनी उतनी नहीं बढ़ी। हां, उन पर कर्ज जरूर बढ़ता गया।
किसान और श्रमिक के नाम पर देश में, राज्यों में अनेकों बार सरकारें बनीं लेकिन उन्हें मिला क्या? सिर्फ वादों और कानूनों का एक उलझा हुआ जाल। एक ऐसा जाल, जिसको ना तो किसान समझ पाता था और ना ही श्रमिक।
आजादी के अनेक दशकों तक किसान और श्रमिकों के नाम पर खूब नारे लगे, बड़े बड़े घोषणा पत्र निकले। समय की कसौटी ने तय कर दिया है कि वो कितने खोखले थे, देश में अब ये देख लिया है। दीनदयाल जी कहते थे कि बड़ी-बड़ी घोषणाओं की बीच जनता के अपेक्षाएं पूरी नहीं हो रही हैं। उन्होंने कहा था- अव्यवस्था और अनाचार, अभाव और असमानताएं, असुरक्षा और असमाजिकता बढ़ती जा रही है।
आज जब देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक-एक देशवासी अथक परिश्रम कर रहा है तब गरीबों को, दलितों, वंचितों, युवाओं, महिलाओं, किसानों, आदिवासी, मजदूरों को उनका हक देने का बहुत ऐतिहासिक काम हुआ है।
हमारे देश के किसान, श्रमिक भाई-बहन, युवाओं, मध्यम वर्ग के हित में अनेक अच्छे और ऐतिहासिक फैसले लिए गए हैं। जहां-जहां राज्यों में हमें सेवा करने का मौका मिला है वहां-वहां इन्हीं आदर्शों को परिपूर्ण करने के लिए उतने ही जी जान से लगे हुए हैं।
आज से ही देश के ईमानदार करदाताओं के हितों को सुरक्षा देने वाला, फेसलेस अपील का प्रावधान, भारत की टैक्स व्यवस्था से जुड़ने वाला है। ईमानदार करदाताओं को परेशानी ना हो, इसके लिए फेसलेस टैक्स सिस्टम कुछ महीने पहले ही टैक्स रिजीम का हिस्सा हो चुका है।
उस समय जब आजाद भारत के निर्माण के लिए विदेशी मॉडल को अपनाने में जोर था, तब भी दीनदयाल जी आधुनिक भारत के निर्माण के लिए भारत की मिट्टी पर, भारत के लोगों के पुरुषार्थ पर भरोसा करते रहे।
21वीं सदी के भारत को विश्व पटल पर नई ऊंचाई देने के लिए, 130 करोड़ से अधिक भारतीयों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए, आज जो कुछ भी हो रहा है, उसमें दीन दयाल जी जैसे महान व्यक्तित्वों का बहुत बड़ा आशीर्वाद है।
पंडित दीनदयाल जी की यह जयंती और भी अधिक प्रासंगिक है क्योंकि हाल के दिनों में सरकार ने जो सुधारवादी फैसलों लिए हैं उनमें उनके द्वारा दिखाए गए दर्शन की छाप थी।
एक राष्ट्र के रूप में, एक समाज के रूप में, भारत को बेहतर बनाने के लिए दीनदयाल जी ने जो योगदान दिया है, वो पीढ़ियों को प्रेरित करने वाला है। ये दीनदयाल जी ही थे जिन्होंने भारत की राष्ट्रनीति, अर्थनीति और समाजनीति, इन तीनों को भारत के अथाह सामर्थ्य के हिसाब से तय करने की बात मुखरता से कही थी, लिखी थी।
मुझे कोरोना काल में सेवाभाव कर रहे कार्यकर्ताओं से बातचीत करने का अवसर मिला। देश के अलग-अलग कोने पर कैसे पार्टी के कार्यकर्ता खप गए, गरीब से गरीब की जरूरत के लिए जिस प्रकार से वो दौड़ते रहे, एक-एक घटना बहुत ही प्रेरक थी।
आज हमारे बीच, ऐसे कम ही लोग हैं जिन्होंने दीनदयाल जी को जीते जी देखा हो, सुना हो या उनके साथ काम किया हो। उनका स्मरण, उनके बताए रास्ते, उनका दर्शन, जीवन प्रति पल हमें पावन करता है, प्रेरणा देता है, ऊर्जा से भर देता है।
दूसरों की मदद करते हुए अनेकों कार्यकर्ता स्वयं भी कोरोना से संक्रमित हुए हैं। हमारे जिन साथियों ने अपनी जीवन लीला समाज की सेवा करते-करते समाप्त की है, मैं आज उन सभी दिवंगत साथियों को आदरपूर्वक अंजली देता हूं। मैं भाजपा के प्रत्येक कार्यकर्ता को उनके सेवाभाव, परिश्रम के लिए आदरपूर्वक नमन करता हूं।
देशभर में फैले भाजपा के कर्मठ कार्यकर्ताओं को श्रद्धेय दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती पर अनेक अनेक शुभकामनाएं देता हूं। उन्होंने जो हमें मार्ग दिखाया है, उस रास्ते पर हम पूरे समर्पित भाव से हम आगे बढ़ पाएं।