2 अक्टूबर गांधी जयंती के बारे में जाने कुछ खास बाते
भारत में हर वर्ष 2 अक्टूबर का दिन गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। देश को अंग्रेजों से आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले महात्मा गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में हुआ था बतादे की देश इस बार गांधीजी की 151वीं जयंती मना रहा है। सत्य और अहिंसा को लेकर बापू के विचार हमेशा से न सिर्फ भारत, बल्कि पूरी दुनिया का मार्गदर्शन करते रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे।
उन्हीं के विचारों के सम्मान में 2 अक्टूबर को हर साल अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस भी मनाया जाता है। गांधी जयंती के दिन स्कूल, कॉलेजों में वाद-विवाद और भाषण प्रतियोगिता का भी आयोजन होता है।
लेकिन इस बार कोरोना वायरस महामारी के चलते स्कूल-कॉलेज सभी बंद हैं और आज 2 अक्टूबर है और न सिर्फ पूरा हिन्दुस्तान, बल्कि दुनिया के कई देश 151वीं गांधी जयंती मना रहे हैं बापू ने देश को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद करवाने में सबसे अहम भूमिका निभाई।
उन्होंने अपने सत्य और अहिंसा के सिद्धांत के दम पर अंग्रेजों को कई बार घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। उनके अहिंसा के सिद्धांत को पूरी दुनिया ने सलाम किया, यही वजह है कि पूरा विश्व आज का दिन अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के तौर पर भी मनाता है
महात्मा गांधी की महानता, उनके कार्यों व विचारों के कारण ही 2 अक्टूबर को स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस की तरह ही राष्ट्रीय पर्व का दर्जा दिया गया है गांधी जी इस बात में विश्वास रखते थे कि हिंसा के रास्ते पर चलकर आप कभी भी अपने अधिकार नहीं पा सकते। उन्होंने विरोध करने के लिए सत्याग्रह का रास्ता अपनाया
महामारी के इस दौर में महात्मा होते तो क्या होता, यह सवाल दिलचस्प है और इसे खंगालने की स्वाभाविक जिज्ञासा मन में उठती ही होगी आज बापू होते तो जरूर कोरोना पीडि़तों की देखभाल करते
उनका मनोबल बढ़ाते, उन्हें मायूस न होने की सलाह देते, पर ऐसा करते हुए स्वच्छता रखने, हाथ धोने, मास्क लगाने जैसे सभी वैज्ञानिक निर्देशों का पूरे अनुशासन के साथ पालन भी करते कोरोना संकट के समय में गांधी जी एक बार आत्मचिंतन करने और प्रकृति के साथ मानव के बिगड़ते रिश्ते की वजहों को समझाते, इस संबंध में वे लगातार लिखते रहते अपनी आवश्यकताओं और कामनाओं के बीच के फर्क को एक बार गौर से निहारने की सलाह भी देते और प्रकृति के लगातार शोषण के विरोध में तो अवश्य ही सत्याग्रह करते और इसके प्रति जागरूकता फैलाते
अगर हम बात करे स्वस्थ्य व्यस्था की तो स्वास्थ्य की व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए लगातार सरकारों पर दबाव डालते और जरूरत पडऩे पर इसके लिए लंबी पदयात्रा पर निकल पड़ते या अनशन पर बैठ जाते।
साथियों। …. यह बात सही है कि हम सभी गांधीजी का काफी सम्मान करते हैं। लेकिन उनके सपने तो तभी पूरे होंगे जब हम उनके बताए शांति, अहिंसा, सत्य, समानता, महिलाओं के प्रति सम्मान जैसे आदर्शों पर चलेंगे।
तो आज के दिन हमें उनके विचारों को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लेना चाहिए