बिहार

कटिहार के के प्रतिष्ठित महाविद्यालय डीएस कॉलेज का पुस्तकालय भवन उपेक्षा का हुआ शिकार

शिक्षा में सुधार के दावों के बीच शहर के प्रतिष्ठित महाविद्यालय डीएस कॉलेज का पुस्तकालय भवन उपेक्षा का शिकार हो रहा है। छत से टपकते पानी और दीवारों में सिलन की समस्या के कारण पुस्तकों की स्याही धुलती जा रही है। लेकिन इसकी सुध किसी स्तर से नही ली गई है। बताते चलें कि कभी यह पुस्तकालय अपनी महत्ता के लिए काफी चर्चित था और यहा अध्ययन करने वालों की भीड़ जुटती थी। लेकिन पढऩे की क्षमता का ह्रास के साथ संसाधन की उपेक्षा ने भी इसकी महत्ता पर ग्रहण लगा दिया है।

बता दें कि डीएस कॉलेज में पुस्तकालय भवन का निर्माण वर्ष 1999 में किया गया था। लेकिन इसके बाद से इसकी मरम्मत व रखरखाव का ध्यान नहीं गया। इससे पुस्तकालय भवन धीरे धीरे जर्जर हो गया। बाद में भवन की छत टपकने लगी और दीवारों में सीलन की समस्या आने के कारण पुस्तकों का रखरखाव मुश्किल होने लगा। इस समस्या को लेकर प्रबंधन को कई बार जानकारी दी गई तथा विश्वविद्यालय को भी अवगत कराया गया है, लेकिन आजतक इस दिशा में पहल नहीं होने के कारण यहां रखी पुस्तके बर्बादी के कगार पर पहुंच चुकी है।

40 हजार पुस्तकों वाले पुस्तकालय की नहीं है सुध

बताते चलें कि इस पुस्तकालय में लगभग 40 हजार पुस्तकें थी। जिसमें कई पुस्तके बर्बाद हो गई है। महाविद्यालय में लगभग 17 हजार छात्र-छात्राएं नामांकित हैं। लेकिन पुस्तकालय का अध्ययन कक्ष व पुस्तकालय भवन की उपेक्षा के कारण अब यहां विद्याार्थी भी नहीं पहुंचते। इसकी दुर्दशा को लेकर विभिन्न छात्र संगठनों ने भी कई बार आवाज बुलंद की है। लेकिन इस दिशा में पहल नहीं किया गया है। पुस्तकालय इंचार्ज शंभू यादव ने बताया कि पुस्तकालय की समस्या को लेकर विभाग का ध्यान आकृष्ट कराया गया है। जर्जर भवन के कारण परेशानी हो रही है।

पुस्तकालय की समस्या व भवन के जीर्णोंद्धार को लेकर विश्वविद्यालय प्रबंधन का ध्यान आकृष्ट कराया गया है। शीघ्र ही इस दिशा में सकारात्मक पहल होने की उम्मीद है। -सीबीएल दास, प्राचार्य, डीएस कॉलेज, कटिहार।

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