कांग्रेस ने sc में दाखिल योगी सरकार के हलफनामे को बताया झूठा
हाथरस कांड को लेकर योगी सरकार लगातार विपक्ष के निशाने पर है. खासकर कांग्रेस एक के बाद एक योगी सरकार पर लगातार हमला कर रही है.
इसी क्रम में बुधवार को कांग्रेस महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी के निर्देश पर राष्ट्रीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव और कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत्र राजधानी लखनऊ पहुंचीं. इस दौरान दोनों ही नेताओं ने हाथरस मामले पर योगी सरकार द्वार सुप्रीम कोर्ट में झूठा हलफनामा पेश कर अदालत को गुमराह करने का आरोप लगाया.
राष्ट्रीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव ने बताया कि हाथरस घटना में पूरे देश ने देखा कि किस तरह ढाई बजे हाथरस की बेटी के पार्थिव शरीर के साथ जानवरों से भी बुरा बर्ताव करते हुए केरोसिऩ-डीजल से पुलिस ने जला डाला. उस बेटी की मां को अंतिम दर्शन भी नहीं करने दिया गया. लेकिन, योगी आदित्यनाथ की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पेश शपथपत्र में हाथरस की बेटी का अंतिम संस्कार उनके माता-पिता की अनुमति और रीति-रिवाजों के साथ करने का सफेद झूठ बोला है.
राष्ट्रीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव ने कहा कि हलफनामे में दूसरा झूठ ये बोला गया कि 22 सितम्बर के बाद 2-2 फॉरेंसिक टेस्ट कराये गये, लेकिन पीड़िता के साथ रेप होने की पुष्टि नहीं हुई. ऐसे में जब 8 दिन बाद फॉरेंसिक जांच होगी तो क्या मिलेगा?
जबकि पूरा देश जानता है कि हाथरस की पीड़िता ने मरने से पहले अपने बयान में रेप नहीं, बल्कि गैंगरेप की बात कही है. उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार ने ही निर्भया कांड के बाद 2013 में ही IPC की धारा 375 में संशोधन कर दिया था. जिसके तहत नये कानून में अब रेप का प्रयास भी रेप होता है. इसमें कोई फॉरेंसिक साक्ष्य की जरूरत नहीं होती. सीमेन या वीर्य मिलने की जरूरत नहीं होती. इस सरकार को शायद ये कानून मालूम नहीं है.
अंत में कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत्र नें योगी सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पेश किये गये अपने हलफनामे में बोले गये तीसरे झूठ के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सोशल मीडिया, मीडिया और राजनीतिक दलों द्वारा अपनी छवि धूमिल किये जाने की बात कही है. सरकार ने अपने 136 पेज के हलफनामे में पन्ना नंबर 101 से 127 तक कई साक्ष्यों का जिक्र किया है.
इनमें कुछ लोगों के फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सएप पोस्ट का जिक्र है, जिनमें 900 से लेकर सबसे ज्यादा 14 हजार फालोवर्स वाला हैंडल है. क्या 900 फालोवर्स वाला इतने बड़े प्रदेश में जातीय हिंसा फैला सकता है और आपको सिर्फ अपनी छवि की चिंता है उस पीड़िता या उसके परिवार की नहीं.
पन्ना नंबर 125, 126 और 127 में जिस अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की साजिश की बात कही गई है, उसमें अमेरिका में हुए एक विरोध प्रर्धशन में प्रयोग किये गये साहित्य को अपने खिलाफ प्रर्दशन बताकर भी सफेद झूठ बोला गया है. इस तरह की कई मूर्खतापूर्ण और हास्यास्पद बातें इस हलफनामे में कही गई हैं. इसलिये सुप्रीम कोर्ट को इसे अवमानना मानना चाहिए.