अरविंद केजरीवाल के सियासी ड्रामे से चर्चा में आए राहुल गांधी
राजधानी दिल्ली में सीसीटीवी कैमरे लगाने को लेकर सुझाव देने के लिए उपराज्यपाल (एलजी) द्वारा गठित कमेटी की रिपोर्ट रविवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बेहद फिल्मी अंदाज में लोगों के सामने फाड़ दी। इस बाबत एक वीडियो भी वायरल हुआ है और इसकी तस्वीरे सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। सीएम केजरीवाल ने जिस तरह से कमेटी की रिपोर्ट फाड़ी उसने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की याद दिला दी, जब राहुल गांधी ने 28 सितंबर, 2013 को मनमोहन सिंह कैबिनेट द्वारा पारित एक अध्यादेश फाड़ दिया था। कुछ ऐसा ही अंदाज रविवार को अरविंद केजरीवाल का भी दिखा।
बता देें कि इंदिरा गांधी स्टेडियम में आयोजित सम्मेलन में केजरीवाल ने एलजी को चुनौती देते हुए कहा कि लोगों की सुरक्षा के लिए लगाए जा रहे सीसीटीवी कैमरों के बारे में कोई भी निर्णय लेने का अधिकार सिर्फ दिल्ली की जनता के पास है। इसमें एलजी, दिल्ली पुलिस और भाजपा वालों का कोई काम नहीं है।
सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए लोगों की राय जानने को आयोजित इस कार्यक्रम में सीएम ने कहा कि महिलाएं सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। हम तीन साल से इस योजना को लागू करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हमें काम नहीं करने दिया जा रहा। एलजी द्वारा गठित कमेटी की रिपोर्ट दिखाते हुए केजरीवाल ने कहा कि इसमें लिखा गया है कि सीसीटीवी लगाने के लिए पुलिस से लाइसेंस लेना पड़ेगा। पुलिस से हथियारों के लाइसेंस तो दिए नहीं जाते, सीसीटीवी कैमरे के लाइसेंस कैसे देगी।
11.40 लाख सीसीटीवी लगाए जाएंगे
योजना के तहत 70 विधानसभा क्षेत्रों में 1.40 लाख सीसीटीवी कैमरे लगेंगे। एक विधानसभा क्षेत्र में 2000 कैमरे लगेंगे। कैमरे और इनका सर्वर 2जी, 3जी व 4जी तथा जीपीआरएस से जुड़ा होगा। इनमें 30 दिन की रिकॉर्डिग होगी। कोई खराबी आने पर सूचना अपने आप रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष और लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर के पास पहुंच जाएगी।
फैलाई जा रही भ्रामक जानकारीः राजनिवास
राजनिवास ने कहा है कि सीसीटीवी कैमरे लगाने के मसौदे को लेकर भ्रामक जानकारी फैलाई जा रही है। जो मसौदा बनाया गया है, उसमें प्रयास है कि सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध हों, लेकिन किसी की निजता भंग न हो। राजनिवास ने कहा कि इन कैमरे के संचालन को लेकर कोई पुख्ता योजना नहीं है। लिहाजा इनसे सुरक्षा में बहुत मदद नहीं मिलेगी।
केजरीवाल में दिखा राहुल का अंदाज!
बता दें कि वर्ष, 2013 में सजायाफ्ता सांसदों और विधायकों की सदस्यता बरकरार रखने के लिए लाए गए विवादित अध्यादेश का कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने विरोध किया था। राहुल गांधी ने कहा था कि सरकार ने दागियों को बचाने के लिए अध्यादेश लाकर ठीक नहीं किया है। उन्होंने कहा था कि उनकी राय में अध्यादेश पूरी तरह से बकवास है और इसकी कॉपी को फाड़कर फेंक देना चाहिए। इतना ही हीं, राहुल गांधी ने 28 सितंबर, 2013 को सार्वजनिक रूप से इस बिल को फाड़ दिया था। उस दौरान मुख्य विपक्षी दल भाजपा पहले से ही इस अध्यादेश का विरोध कर रही थी। अध्यादेश को भाजपा ने अनैतिक, असंवैधानिक और गैरकानूनी करार दिया था।
यहां पर बता दें कि विवादास्पद अध्यादेश आने से तत्कालीन कांग्रेस सांसद रशीद मसूद और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव की संसद सदस्यता खत्म नहीं होती। इससे पहले 10 जुलाई, 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम फैसले में कहा था कि जिन जनप्रतिनिधियों को आपराधिक मामलों में दोषी करार दिया गया है और दो साल या उससे ज्यादा की सजा मिली है, उन्हें अयोग्य करार दिया जाए।