बिना सर्विस बुक तीन साल से काम कर रहा अफसर:-
प्रवेंद्र गुप्ता
नगर निगम के जोन चार में जोनल अधिकारी के पद पर तैनात अधिकारी की सर्विस बुक ही नगर निगम में नहीं है। तीन साल पहले यह प्रतिनियुक्ति पर आए थे और बीते जुलाई माह में वह अवधि भी समाप्त हो चुकी है।
उसके बाद भी वह काम कर रहे हैं। बिना सर्विस बुक के किसी अधिकारी का नगर निगम में काम करने का अपने आप में यह अनोखा मामला है।
तीन साल पहले नगर विकास विभाग के आदेश पर गोरखपुर के गीडा में कम्प्यूटर प्रोग्रामर के पद पर कार्यरत सुजीत श्रीवास्तव को सहायक नगर आयुक्त पद पर प्रतिनियुक्ति देते लखनऊ नगर निगम तैनात किया गया था।
आदेश के तहत प्रतिनियुक्ति तीन साल तक होगी, यदि उससे पहले सहायक नगर आयुक्त पद पर नई नियुक्ति हो गई तो प्रतिनियुक्ति समाप्त हो जाएगी। शासन का यह आदेश हल धूल फांक रहा है।
प्रतिनियुक्ति अवधि के दौरान ही नगर निगम में एक सहायक नगर आयुक्त की नियुक्ति भी हो गई। उसके बाद सुजीत की प्रतिनियुक्ति अवधि भी समाप्त हो गई है, लेेकिन वह अब तक जोनल अधिकारी की कुर्सी पर जमे हैं।
न्यूनतम वेतन पर ही कर रहे काम
यह जानकार हैरानी होगी कि सुजीत श्रीवास्तव न्यूनतम वेतन पर काम कर रहे हैं। सर्विस बुक न होने के कारण उनके वेतन का निर्धारण नहीं हो पा रहा है, जिससे उनको नगर निगम पिछले तीन साल से न्यूनतम वेतन ही दे रहा है। जानकार बताते हैं कि यह वेतन भी हर महीने नहीं बल्कि दो तीन महीने का एक साथ तब दिया जाता है, जब नगर आयुक्त स्तर से वेतन जारी करने का आदेेश दिया जाता है। इसे लेकर यह चर्चा भी खूब रहती है कि आखिर ऐसा क्या है कि एक अफसर न्यूनतम वेतन ले रहा है और अपनी सर्विस बुक नहीं ला पा रहा है। नगर निगम की ओर से भी उनकी सर्विस बुक मंगवाई गई, मगर अब तक आई नहीं। इसे लेकर कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं।
विभाग से मांगी जाएगी रिपोर्ट
नगर आयुक्त अजय द्विवेदी ने बताया कि मामले की पूरी जानकारी अभी नहीं है। इस बारे में पता करूंगा और जो नियम संगत कार्रवाई होगी वह की जाएगी। प्रतिनियुक्ति किस आधार पर और कब तक के लिए की गई थी। सर्विस बुक क्यों नहीं है।