8 फुट का नाला बनी 200 फुट चौड़ी असि नदी:-
जिस असि नदी का वर्णन पुराणों में जिसके नाम से वाराणसी की पहचान है वो नाला में तब्दील हो गयी है। कंदवा से अस्सी घाट तक असि नदी का अस्तित्व है, लेकिन सरकारी मशीनरी की अनदेखी के चलते नदी के दोनों छोर पर अवैध निर्माणों की श्रृंखला बनती गई। अवैध निर्माणों में आलीशान मकान ही नहीं, स्कूल, शॉपिंग कॉप्लेक्स और मल्टी स्टोरी बिल्डिंग भी खड़ी हो गई है। इसकी वजह से काशी के लोगों की आस्था से जुड़ी 200 फीट चौड़ी असि नदी अब आठ फीट नाले में तब्दील हो चुकी है। चार दशक पहले जिस नदी के पानी से लोग आचमन करते थे, वर्तमान में वहां से गुजरना भी मुश्किल है। असि नदी की हालत में अब सुधार की उम्मीद है। डीएम ने असि नदी की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार नगर निगम के अधिकारियों को नोटिस देने और नदी किनारे बने अवैध निर्माण को 15 दिन के अंदर जमींदोज करने का फरमान सुनाया।
सिमटती गयी नदी
असि नदी का उद्गम स्थल कंदवा है। वहां से चितईपुर, करौंदी, करमजीतपुर, नेवादा, सरायनंदन, नरिया, साकेत नगर नगवां से गुजरते हुए गंगा में मिलती है। कुल 8 किलोमीटर है नदी की लंबाई। एक समय उद्गम स्थल से गंगा संगम तक नदी की चौड़ाई 200 फुट थी। वर्तमान में कंदवा उदग्म स्थल पर नदी का व्यास 30 फुट है। आगे बढ़ने के साथ चौड़ाई कम होती जाती है। नरिया से संकटमोचन मंदिर के पास वह नाले के रूप में आठ फीट तक सिमट कर रह गई है।
दस हजार अवैध निर्माण हो चुके हैं असि के किनार
तीन लाख की आबादी रहती है इन अवैध निर्माण में
चौदा वर्ग किलोमीटर है नदी का जल-ग्रहण क्षेत्र
तीस फुट चौड़ाई है नदी के उद्गम स्थल के पास
इस तरह के हैं कब्जे
-नदी के किनारों को पाट कर छोटे से लेकर कई मंजिला तक आलीशान मकान बन गए हैं।
-असि नदी पर अतिक्रमण करने वाले कई स्कूल भी हैं। साकेत नगर में एक स्कूल ने तो दोनों किनारों पर निर्माण करके उन्हें पुल से जोड़ दिया है।
-शॉपिंग कॉप्लेक्स भी बना दिए गए हैं नदी पर अतिक्रमण करके। कई मंजिला इन कॉम्प्लेक्स का निर्माण व्यवस्था पर सवाल है।
-नाले में तब्दील हो चुकी नदी के किनारे पर कई रेस्टोरेंट भी आबाद हैं। लोगों की भीड़ इनमें जुटती है
-अतिक्रमण को बकरार रखने के लिए अतिक्रमणकारियों ने कुछ मंदिर भी बना दिया है
-एक वक्त में जिस नदी के किनारे साधु संयासी तप करते थे उस पर अतिक्रमण करके मठ बना लिया है।
-मल्टी स्टोर बिल्डिंग, दुकानें का भी अक्रिमण है खासतौर पर साकेत नगर, नगवा में
पुराणों में नदी का वर्णन
असि नदी कंदवा स्थित कर्मदेश्वर महादेव कुंड से शुरू होकर लगभग 8 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद गंगा में मिलती है। इसका जल-ग्रहण क्षेत्र लगभग 14 वर्ग किलोमीटर के दायरे में है। शहर के दो छोर पर बहने वाली असि और वरुणा नदियां भौगोलिक और जल के संदर्भ में महत्वपूर्ण हैं। गंगा नदी को इस नदियों के कारण स्थिरता मिली है। गंगा का चंद्राकार स्वरूप इनकी देन है। पद्म पुराण के अनुसार ये दोनों पवित्र नदियां हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवी दुर्गा ने शुम्भ-निशुम्भ नामक असुरों का वध करने के बाद जहां अपनी तलवार फेंकी थी, उस स्थान पर ही महादेव कुंड बना और इससे निकले पानी से ही असि नदी का उद्गम हुआ। असि नदी और अस्सी घाट का वर्णन गोस्वामी तुलसीदास की मृत्यु में भी मिलता है।
15 दिन में टूटेंगे अवैध निर्माण
डेढ़ माह पूर्व निर्देश देने के बाद भी असि नदी के चिह्निकरण के लिए राजस्व अभिलेखों को समय से उपलब्ध नहीं कराने पर डीएम कौशल राज शर्मा ने तहसील सदर के अधिकारी को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया। साथ ही निर्देश दिया कि कौन-कौन से गांव पड़ते हैं, तत्काल खतौनी निकलवाएं और नदी क्षेत्र में अवैध तरीके से मकान बनवाने व कब्जा जमाने वालों को चिह्नित कर 15 दिन में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई करें। डीएम ने स्टार्म व सीवर वाटर ड्रेनेज की जांच करने तथा ड्रेन में सालिड वेस्ट, प्लास्टिक आदि को फिल्टर करने के लिए नेट लगाने का निर्देश दिया। साथ ही असि नदी के दोनों ओर कूड़ा सफाई की व्यवस्था करने और नदी में कूड़ा कचरा फेंकने वालों के खिलाफ जुर्माना वसूलने का निर्देश दिया। डीएम के अनुसार जिला वन अधिकारी को निर्देश दिया कि विभागीय अधिकारी, गंगा समिति के सदस्यों, नगर निगम तथा मजिस्ट्रेट की सुपरवाइजरी टीम बनाई जाएगी। ये टीम असि नदी के कार्यों की नियमित जांच पड़ताल संग मानिट¨रग करेगी।